पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने आज बंद पड़े शंभू बॉर्डर को लेकर बड़ा आदेश जारी किया है। हरियाणा सरकार को आदेश देते हुए हाईकोर्ट ने कहा है कि, एक हफ्ते के भीतर शंभू बॉर्डर की खुलवाया जाए। इसके अलावा कोर्ट ने खनौरी बॉर्डर पर जान गंवाने वाले किसान शुभकरण सिंह की मौत की जांच के लिए SIT गठित करने का भी आदेश जारी किया है।
किसान आंदोलन के चलते पिछले 5 महीनों से अंबाला का शंभू बॉर्डर बंद पड़ा है। इस मामले को लेकर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को बॉर्डर से बेरिकेड हटाने को कहा है। और कहा है कि इस रास्ते को एक हफ्ते के भीतर शुरू किया जाए। ऐसे में दिल्ली-चंडीगढ़ नेशनल हाईवे 5 महीने बाद फिर लोगों के आवाजाही के लिए शुरू हो जाएगा। बात दें की इस हाईवे पर आंदोलन के तहत पंजाब के किसान धरने पर बैठे हैं। तब से लोगों को परेशानी का सामान्य करना पड़ रहा है।
फरवरी से बैठें हैं किसान
शंभू बॉर्डर पंजाब-हरियाणा की सीमा है जहां पर 13 फरवरी से पंजाब के किसानों का धरना चल रहा है। बॉर्डर पर केंद्रीय सुरक्षा बल (CRPF) और हरियाणा पुलिस के जवान तैनात हैं। धरना के कारण दिल्ली से चंडीगढ़ जाने वाली नेशनल हाईवे का कुछ हिस्सा बंद है। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि, पंजाब और हरियाणा सरकार राष्ट्रीय राजमार्ग को खोलने के लिए जल्द से जल्द कानून व्यवस्था ठीक करें।
करीब 108 करोड़ रु. का घाटा
शंभू बॉर्डर खुलवाने को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करने वाले हाईकोर्ट के वकील वासु रंजन शांडिल्य है। शांडिल्य ने अपनी याचिका में कहा कि, शंभू बॉर्डर पर पंजाब के किसानों के धरना देने के कारण अंबाला शहर में व्यापार प्रभावित हो रहा है। वहीं लोगों को आने-जाने में परेशानी तो हो रही है। याचिका में कहा गया है कि, किसान आंदोलन की वजह से बीते 5 महीने से NH-44 बंद पड़ा है। याचिका में पंजाब व हरियाणा सरकार के अलावा किसान नेता स्वर्ण सिंह पंधेर और जगजीत सिंह डल्लेवाल को भी सदस्य बनाया था। बात दें कि, इस बॉर्डर के बंद होने से NHAI को अब तक 108 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हो चुका है।