मध्य प्रदेश के धार की ऐतिहासिक धरोहर भोजशाला में केंद्रीय पुरातत्व विभाग (ASI) की टीम इंदौर हाईकोर्ट के आदेश पर लगातार सर्वे कर रही है. दरअसल, 19 जून को ASI की टीम द्वारा जारी वैज्ञानिक सर्वे को 90 दिन यानी तीन महीने पूरे हो गए हैं. इन तीन महीनों में भोजशाला के इतिहास से पर्दा उठाने के लिए एएसआई की टीम कड़ी मेहनत कर रही है. वहीं, 20 जून 2024 को सर्वे के 91 दिन भी इस भोजशाला के सर्वे के दौरान 25 फीट नीचे तक मिट्टी हटाकर प्राचीन काले पत्थर पर भगवान कृष्ण की डेढ़ फीट की मूर्ति मिली, साथ ही दो अन्य पुरावशेष भी मिले हैं.
जानकारी के अनुसार, केंद्रीय पुरातत्व विभाग (ASI) ने भोजशाला के उत्तरी भाग में खोदाई की थी. बता दें कि इसी दौरान उन्हें भगवान श्रीकृष्णा की खड़े स्वरूप वाली एक प्राचीन काले पत्थर वाली प्रतिमा मिली. बताया जा रहा है कि इसके अलवा एक पुरावशेष में सनातन धर्म को दिह्नित करने वाले प्रतीक चिह्न हैं जबकि दूसरे पुरावशेष में दाई और बाई तरफ यक्ष बन रके हैं. बता दें कि इन्हें सारे प्रतीकों को ASI द्वारा चिह्नित कर लिया गया है.
बता दें कि भोजशाला में भगवान श्रीकृष्ण का मूर्ती से पहले ऐसे पाषाणों के अवशेष मिले है. बता दें कि प्राचीन काले पत्थर पर भगवान कृष्ण की डेढ़ फीट की मूर्ति जिसमें सूर्य के आठों पहर के चिन्ह बने हुए थे. यह अवशेष 1×3.5 वर्ग फीट आकार का था.
दरअसल, वैज्ञानिक सर्वे के दौरान मूर्तियां, शिलालेख का निकलना लगातार जारी है. इसके बाद दोनों पक्ष अपने-अपने दावे कर रहे हैं. बता दें कि मामले में अब 4 जुलाई को इंदौर हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है, जहां एएसआई को फाईनल रिपोर्ट पेश करने कहा गया है. ASI की रिपोर्ट से कई बिंदुओं से पर्दा उठेगा. साथ ही, भोजशाला के इतिहास को लेकर हो रहे दावे की भी हकीकत सामने आने की स्थिति बनेगी. जानकारी के लिए बता दें कि हिंदू पक्ष इसे मां वाग्देवी का मंदिर बताते हुए पूर्ण अधिकार मांगने के लिए हाईकोर्ट पहुंचा है. साथ ही मुस्लिम पक्ष लगातार इस पर आपत्ति दर्ज करवा रहा है.