उत्तर प्रदेश के सहारनपुर स्थित देश की इस्लामिक संस्था दारुल उलूम देवबंद ने गजवा-ए-हिन्द को मान्यता देने वाला एक फतवा जारी किया है.इस तरह के फतवा जारी करने के पीछे का उद्देश्य और कुछ नहीं बल्कि भारत देश को इस्लामिक देश बनाने का एक षडयंत्र है.
बताया जा रहा है की इस्लामिक संस्था यह फतवा एक वेबसाईट के माध्यम से जारी किया गया है. जिसके कारण आयोग ने जिला प्रशासन से मामले की जांच पड़ताल कर वेबसाइट को ब्लॉक करने का अनुरोध किया है.
बता दें इस वेबसाइट के जरीए गजवा ए हिन्द को इस्लामिक दृष्टिकोण से वैध बताते हुए महिमामंडित किया गया है. इसमें कहा गया है कि गज़वा ए हिन्द में मरने वाले महान बलिदानी होंगे. जिस पर एक्शन लेते हुए राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (NPCR) ने इस फतवे को देश विरोधी बताते हुए सहारनपुर डीएम और एसएसपी से FIR दर्ज कराने को कहा है.
दरअसल, किसी शख्स ने दारुल उलूम देवबंद से गजवा-ए-हिंद को लेकर ऑनलाइन जानकारी मांगी थी. इसमें पूछा गया था कि क्या हदीस में इसका कोई जिक्र है? जिसके जवाब में दारुल उलूम देवबंद ने साहिहसीता की पुस्तक सुन्नन अल-नसाई का हवाला देते हुए कहा कि इसमें गजवा-ए-हिंद को लेकर एक पूरा चैप्टर है.
फतवे में कहा गया है कि इसमें पैगम्बर मोहम्मद के करीबी रहे हजरत अबू हुरैरा के हवाले से एक हदीस सुनाई गई है. इसमें उन्होंने गजवा-ए-हिंद पर कहा कि ‘ मैं इसमें लडूंगा और अपनी सभी धन संपदा को इसमें कुर्बान कर दूंगा. मर गया तो महान बलिदानी बनूंगा. जिंदा रहा तो गाजी कहलाऊंगा.’