कुशीनगर। पडरौना विदेश भेजने के नाम पर कबूतरबाज जनपद में अवैध रूप से संचालित डायग्नोस्टिक सेन्टर से मिलकर बेरोजगार युवकों को ठगी का शिकार बना रहे है। इसमे पडरौना नगर के कुमकुम डायग्नोस्टिक सेन्टर के अलावा तमाम डायग्नोस्टिक सेन्टर भी शामिल है जिसका खुलासा बीते दिनों कुशीनगर पुलिस ने की थी। मजे कि बात यह है कि जनपद में कोई भी डायग्नोस्टिक सेन्टर विदेश जाने वालो का मेडिकल करने के लिए अधिकृत नही है ऐसा स्वास्थ्य महकमा का कहना है। इसके बावजूद इस डायग्नोस्टिक सेन्टर पर अब तक कोई कार्रवाई नही की गई। इसके पीछे वजह कुमकुम डायग्नोस्टिक सेन्टर के संचालक का रसूख बताया जा रहा है। काबिलेगौर है कि पडरौना नगर के सुभाष चौक पर संचालित कुमकुम डायग्नोस्टिक सेंटर द्वारा विदेश भेजने वाले एजेंटों से साठगांठ कर नियम विरुद्ध व फर्जी मेडिकल रिपोर्ट जारी कर विदेश जाने वाले बेरोजगार युवको को ठगी का शिकार बनाया जा रहा है जिसका खुलासा बीते दिनो कुशीनगर पुलिस ने किया था। खास बात यह है कि यह सेंटर विगत एक वर्षो से बिना रजिस्ट्रेशन का अवैध तरीके से संचालित हो रहा है। ऐसा सूत्रों का दावा है, इसकी कितनी सच्चाई है ये तो जांच का विषय बना हुआ है। वही चर्चा यह भी है कि कुमकुम डायग्नोस्टिक सेन्टर का रजिस्ट्रेशन जिला अस्पताल के एमबीबीएस,डीसीएच चिकित्सक
कृष्ण मोहन के नाम से है। लेकिन जब इस सबंध मे डॉ कृष्ण मोहन से बातचीत की गयी तो उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि वह एक वर्ष पूर्व कुमकुम डायग्नोस्टिक सेन्टर से अपना सर्टिफिकेट वापस ले लिए है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में वह बुद्धा हास्पिटल व गोपी चाइल्ड केयर हास्पिटल उनके नाम से रजिस्टर्ड है जहां उनका सर्टिफिकेट लगा है। जानकारों की कहना है कि अगर कृष्ण मोहन प्रसाद के नाम से भी कुमकुम डायग्नोस्टिक सेन्टर रजिस्टर्ड है तो वह भी नियम विरुद्ध है क्योंकि सरकारी चिकित्सक के नाम से कोई भी हास्पिटल व डायग्नोस्टिक सेन्टर का रजिस्ट्रेशन नही हो सकता है। स्वास्थ्य विभाग के संबंधित पटल लिपिक से कुमकुम डायग्नोस्टिक सेन्टर के रजिस्ट्रेशन के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि कुमकुम डायग्नोस्टिक के रजिस्ट्रेशन के लिए फाइल आया है। लेकिन अभी रजिस्ट्रेशन नही हुआ। यहा बताना जरूरी है कि कुमकुम डायग्नोस्टिक सेन्टर का संचालक डाँ नंदलाल कुशवाहा है जो न सिर्फ रसूखदार है बल्कि खुद को सीएमओ का मित्र बताकर भौकाल टाइट करते है और यह भी दम भरते है कि कोई उनका बालबाका भी नही बिगाड सकता है। डाॅ नंदलाल कुशवाहा कुमकुम डायग्नोस्टिक सेन्टर के अलावा पडरौना नगर के छावनी (पडरौना-कसया मार्ग पर) बुद्धा हास्पिटल संचालित करते है। सूत्र बताते है कि डाॅ. नंदलाल कुशवाहा का जनपद के तमकुहीराज व खड्डा मे भी हास्पिटल संचालित होता है।
गिरोह का पुलिस ने किया था खुलासा
बता दे कि पडरौना कोतवाली पुलिस, स्वाट व साइबर सेल की पुलिस टीम ने बीते दिनों विदेश भेजने के नाम पर बेरोजगारों से लाखों रुपये का ठगी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया था। पुलिस ने गिरोह के आठ सदस्यों को गिरफ्तार कर ठगी के 11 लाख रुपये, फर्जी आधार, कुवैत , उज्बेकिस्तान, कतर, सउदी अरब, कम्बोडिया, मलेशिया, हांकांग, आदि देशों की
कंपनियों के फर्जी ऑफर लेटर, सरकारी दस्तावेज की मुहर,कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण व एक कार बरामद किया था। इसी गिरोह ने पिछले दिनों पडरौना नगर में भारत टेक्निकल इंस्टीट्यूट खोल कर डेढ़ सौ बेरोजगार युवकों से लाखों रुपये की ठगी कर फरार हो गए थे। पुलिस विभाग द्वारा किये गये खुलासे मे यह बात सार्वजनिक हुई थी कि पडरौना नगर के सुभाष चौक स्थित कुमकुम डायग्नोस्टिक सहित नगर के तीन डायग्नोसिस सेंटर विदेश जाने वाले बेरोजगार युवकों का नियम विरुद्ध व फर्जी मेडिकल रिपोर्ट बनाकर ठगी करने वाले इस गिरोह की मदद कर रहे थे।
कौन है डाँ.नंदलाल कुशवाहा
बता दे कि यह वही डाॅ नंदलाल कुशवाहा है जो बीते दिनो मार्ग दुर्घटना में घायल पडरौना निवासी प्रेम नामक युवक के जिला अस्पताल में भर्ती होने के बाद दलालों द्वारा अपने बुद्धा हास्पिटल में भर्ती कराकर इलाज व आपरेशन किया था। जिसके बाद जब प्रेम की हालत बिगड़ने लगी तो हास्पिटल के संचालक डाँ. नंदलाल ने प्रेम को जिला अस्पताल भेजकर वहा से उसको लखनऊ केजीएमयू रेफर कराया था जहां केजीएमयू के डॉक्टर ने प्रेम की पत्नी रीमा देवी को गलत ऑपरेशन की बात बताई और इलाज शुरू किया लेकिन प्रेम को बचाया नही जा सका। इसके बाद सुलह-समझौते के नाम पर बुद्धा हास्पिटल के संचालक डाँ.नंदलाल कुशवाहा ने मृतक प्रेम की पत्नी को 70 हजार रुपये का चेक दिया और दाह संस्कार के बाद प्रेम के इलाज मे खर्च हुए धनराशि को देने का वादा कर मामले को शांत करने का प्रयास किया था। किन्तु दाह संस्कार के बाद मृतक की पत्नी बुद्धा हॉस्पिटल पहुची तो डाँ नंदलाल ने पीडिता को पैसा देने से इंकार कर दिया। नतीजतन मामला खूब तूल पकडा। सीएमओ ने जांच का आदेश दिया लेकिन डाँ नंदलाल ने अपने रसूख और प्रभाव के दम पर मामले को लीपापोती करा दिया।