पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, पीवी नरसिम्हा राव और देश में हरित क्रांति के जनक डॉ. एम एस स्वामीनाथन को भारत रत्न (मरणोपरांत) से सम्मानित किया जाएगा. इस बीच बालासाहेब ठाकरे को भी भारत रत्न देने की मांग उठने लगी है. दरअसल, उद्धव ठाकरे की शिवसेना के नेता संजय राउत ने बालासाहेब ठाकरे को भी भारत रत्न देने की मांग करते हुए कहा कि सरकार उन्हें भूल गई.
संजय राउत ने कहा , "खुद को हिंदुत्ववादी कहने वाले प्रधानमंत्री मोदी एक बार फिर हिंदू हृदय सम्राट बालासाहेब ठाकरे को भूल गए हैं. एक महीने में पहले दो और अब तीन नेताओं को भारत रत्न से सम्मानित किया गया है. वीर सावरकर और बालासाहेब ठाकरे को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया है."
उन्होंने आगे कहा, "एक साल में तीन लोगों को भारत रत्न से सम्मानित किया जा सकता है, लेकिन पीएम मोदी ने पांच भारत रत्न देने की घोषणा की है. चुनाव नजदीक है. कर्पूरी ठाकुर और लालकृष्ण आडवाणी के बाद चौधरी चरण सिंह, पीवी नरसिम्हा राव और स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित किया गया है. अन्य नेता भी इंतजार कर रहे हैं. प्रधानमंत्री बालासाहेब ठाकरे को क्यों भूल गए हैं. याद रखें बालासाहेब के कारण ही पीएम मोदी अयोध्या में राम मंदिर उद्घाटन के कार्यक्रम में शामिल हो सके."
बता दें कि पीएम मोदी ने सोशल मीडिया एक्स पर कहा, ‘‘हमारी सरकार का यह सौभाग्य है कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित किया जा रहा है. यह सम्मान देश के लिए उनके अतुलनीय योगदान को समर्पित है. ’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हों या देश के गृहमंत्री और यहां तक कि एक विधायक के रूप में भी, उन्होंने हमेशा राष्ट्र निर्माण को गति प्रदान की. वे आपातकाल के विरोध में भी डटकर खड़े रहे. हमारे किसान भाई-बहनों के लिए उनका समर्पण भाव और इमरजेंसी के दौरान लोकतंत्र के लिए उनकी प्रतिबद्धता पूरे देश को प्रेरित करने वाली है.’’
एक अन्य पोस्ट में उन्होंने कहा, ‘‘एक प्रतिष्ठित विद्वान और राजनेता के रूप में नरसिम्हा राव ने विभिन्न पदों पर रहते हुए भारत की व्यापक सेवा की. उन्हें आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और कई वर्षों तक संसद सदस्य और विधान सभा सदस्य के रूप में किए गए कार्यों के लिए भी याद किया जाता है. ’’
प्रधानमंत्री मोदी ने एम एस स्वामीनाथन को भारत रत्न से नवाजे जाने की घोषणा की. पीएम मोदी ने कहा, ‘‘उन्होंने चुनौतीपूर्ण समय में भारत को कृषि में आत्मनिर्भरता हासिल करने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भारतीय कृषि के आधुनिकीकरण की दिशा में उत्कृष्ट प्रयास किए. ’’