देश और देशवासियों को जितना अधिकार देश के लिए मर मिटने वाले बलिदानियों को जानने का है उतना ही अधिकार उन विधर्मी और गद्दारों को भी समझने और जानने का है जिन्होंने उस समय वो कृत्य किये थे जो आज कई सफेदपोश कर रहे हैं. वो गद्दार जिन पर उनके व्यक्तिगत स्वार्थ हावी थे देशा और धर्म के हितो से भी ज्यादा.
जिस प्रकार आज कुछ पाकिस्तान परस्त और कुछ बंगलादेश परस्तो के बीच चीन के चाहने वाले भी भारत को हर तरफ से यही रह कर संविधान की बारीकियो का फायदा उठा कर खोखला कर रहे हैं ठीक उसी प्रकार से इतिहास में भी कई ऐसे देशद्रोही रहे हैं जो भारतीय बन कर भारतीयता को लगातार आघात देते रहे थे.
अंग्रेजो पर बम फेंक कर भाग रहे वीर प्रफुल्ल चाकी को ब्रिटिश पुलिस में काम कर रहे भारतीय गद्दार एन एन बनर्जी ने घेर लिया| ये प्रफुल्ल चाकी के लिए बेहद पीड़ादायक था क्योकि सामने वही भारतीय था जिसको आज़ाद करवाने के लिए वो संघर्ष कर रहे थे. आज अगर उस गद्दार सब इंस्पेक्टर बनर्जी के परिजन खुली हवा में सांस ले रहे हैं तो उसके पीछे उन्ही प्रफुल्ल चाकी का बलिदान है जिनका सिर दरोगा बनर्जी ने काटा था.
अंत में प्रफुल्ल चाकी जी ने अपनी रिवाल्वर से अपने ऊपर गोली चलाकर अपनी जान दे दी। यह घटना आज ही कि अर्थात १ मई, १९०८ की है। बिहार के मोकामा स्टेशन के पास प्रफुल्ल चाकी की मौत के बाद उस समाय के सबसे बड़े गद्दार माने जा सकने वाले के पुलिस उपनिरीक्षक एनएन बनर्जी ने चाकी का सिर काट कर उसे सबूत के तौर पर मुजफ्फरपुर की अदालत में पेश किया।
यह अंग्रेज शासन में किसी हिन्दुतानी गुलाम द्वारा की गयी की जघन्यतम घटनाओं में शामिल है।चाकी का बलिदान जाने कितने ही युवकों का प्रेरणाश्रोत बना और उसी राह पर चलकर अनगिनत युवाओं ने मातृभूमि की बलिवेदी पर खुद को होम कर दिया|
अंग्रेजो को हरा कर कुछ गद्दारों की नीचता से अमरता आज ही के दिन प्राप्त हुए महान क्रांतिवीर प्रफुल्ल चाकी को आज उनके जन्म दिवस पर सुदर्शन परिवार का शत शत नमन और उनकी गौरवगाथा को छिपाने वाले झोलाछाप इतिहासकारो पर लानत भी उस गद्दार उपनिरीक्षक बनर्जी की तरह जिसने काटा था हुतात्मा का सर और इन्होने काटा इतिहास का वो गौरवशाली पन्ना जिसमे सोने के अक्षरों से शामिल था प्रफुल्ल चाकी का नाम ..
सवाल ये बना रहेगा कि उस गद्दार दरोगा एन एन बनर्जी के परिवार वाले कौन हैं और अभी कहाँ है ?