कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. बता दें यतीमखाना में बच्चों को मानसिक यातना की खबरें जानकर सभी लोग हैरान है .जानकारी के मुताबिक यतीम खाने का नाम दारूल उलूम सैय्यादिया है जिसमें साफ देखा जा रहा है कि बच्चों को मानसिक यातना दी जा रही थी.
बता दें इस यतीमखाना के बच्चें वहां के मौलवी से उतना डरे रहते है कि उनके आते ही हिलना-डुलना बंद कर आँखें बंद कर लेते है इतना ही नहीं जांच पड़ताल से पता चलता है की यहां के बच्चों को पूरे दिन बगैर किसी खेलकूद के मस्जिद में रखा जाता है.इस बात का पर्दाफाश राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की औचक निरीक्षण में सामने आई हैं. एनसीपीसीआर ने इस मामले में संज्ञान लेकर कर्नाटक सरकार के चीफ़ सेक्रेटरी को नोटिस जारी किया है.
गौरतलब है कि NCPCR के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने बेंगलुरू में अवैध तरीके से चलाए जा रहे दारूल उलूम सैय्यादिया यतीम खाना का औचक निरीक्षण किया था. इस ग़ैरपंजीकृत निरीक्षण के दौरान यहाँ कई अनियमितताएँ पाई गई. इसका सारा ब्यौरा NCPCR के अध्यक्ष ने अपने एक्स हैंडल पर शेयर किया है.
100 वर्ग फ़िट के कमरे में 8 बच्चे
बताया जा रहा है कि इस यतीमखाना में करीब 200 अनाथ बच्चो को रखा गया है. उसमें उन्हें जानवरों की तरह 100 वर्ग फ़िट के कमरे में 8 बच्चों को रखा गया है. इस तरह के 5 कमरों में 40 बच्चे रहते हैं तो कॉरिडोर में 16 बच्चे रहते हैं.
बाकी बचे 150 बच्चों को मस्जिद के नमाज़ पढ़ने वाले 2 अलग-अलग हाल में रात को सुलाया जाता हैं. ये सभी बच्चे दिन भर इन्हीं नमाज वाले हाल में रहकर मदरसे की इस्लामिक दीनी तालीम लेते हैं.
बता दें यहां तड़के सुबह 3:30 पर जगा कर उन्हें मदरसे की दीनी तालीम में लगा दिया जाता है. इनको दोपहर में सोने को कहा जाता है. इसके बाद फिर शाम से रात तक इनकी तालीम शुरू हो जाती है.
यहां के बच्चे मध्ययुगीन तालिबानी जीवन जी रहे हैं उन्हें पूरे दिन में नमाज़ के लिए बस छोटे ब्रेक दिए जाते हैं .न इन बच्चों के खाने का ठिकाना है, न आराम का और न मनोरंजन के लिए कोई इंतजाम है. एक तरह से ये बच्चे. इनके हिस्से में जैसे संविधान में लिखा जीवन है ही नहीं.
यतीमखाने की इमारत में चल रहा स्कूल
जानकारी के मुताबिक, करोड़ों की वफ़्फ़ की सम्पत्ति वाले इस यतीमखाने की बिल्डिंग अलग है, लेकिन यहाँ इन बच्चों को न रखकर इसमें स्कूल चलाया जा रहा है.=लेकिन इस स्कूल में भी इन यतीम बच्चों को जाने और तालीम लेने की इजाज़त नहीं है.
NCPCR ने इस मामले में कर्नाटक सरकार की क्लास लगाई है. उनका कहना है कि ये राज्य सरकार की लापरवाही का सुबूत और देश के संविधान का उल्लंघन है. आयोग ने इस पर संज्ञान लेते हुए राज्य के चीफ़ सेक्रेटरी को नोटिस जारी कर दिया है.