जम्मू कश्मीर से धारा 370 के खात्मे के बाद 24 जून को प्रधानमंत्री जम्मू के सियासी दलों के नेताओं के साथ बैठक करने जा रहे हैं. ज्यादातर सियासी दल इस बैठक में आने को हामी भर चुके हैं लेकिन PDP नेता महबूबा मुफ्ती का रुख अभी तक साफ़ नहीं था कि वह बैठक में शामिल होंगी या नहीं. खबर तो ये भी सामने आई थी की महबूबा बैठक में शामिल नहीं होंगी.
लेकिन अब इस बारे में जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री तथा नेशनल कांफ्रेंस के प्रमुख फारूख अब्दुल्ला ने बड़ा बयान दिया है. फारुख अब्दुल्ला ने कहा है कि व भी मीटिंग में शामिल होंगे, साथ ही पीडीपी प्रामुख महबूबा मुफ्ती भी पीएम के साथ होने वाली इस मीटिंग में शामिल होंगी. पीएम मोदी के साथ होने वाली बैठक से पहले आज श्रीनगर में फारुक अब्दुल्ला की अध्यक्षता में उनके घर पर गुपकार गैंग की बैठक हुई, जिसमें महबूबा मुफ्ती समेत 7 नेता मौजूद रहे. इस बैठक में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा बुलाई गई बैठक में जाने के विषय पर चर्चा हुई.
बैठक के बाद फारुक अब्दुल्ला ने कहा कि महबूबा जी, मोहम्मद तारिगामी साहब और मैं पीएम द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में शामिल होंगे. हमें उम्मीद है कि हम अपना एजेंडा प्रधानमंत्री तथा गृहमंत्री के सामने रखेंगे. वहीं महबूबा मुफ्ती ने कहा-'हम डायलॉग के खिलाफ नहीं, लेकिन हम जरूर चाहते हैं कि कुछ कॉन्फिडेंस बिल्डिंग मेजर होने चाहिए, पूरे देश में कोरोना महामारी के दौरान कैदियों को रिहा किया गया, जम्मू कश्मीर में भी ऐसा होना चाहिए था.
महबूबा मुफ्ती ने कहा कि हमारा ख्याल था कि गुपकार गठबंधन के हेड के तौर पर फारूख साहब जाएंगे, लेकिन इनका कहना है कि सबको अलग अलग बुलाया गया है सबको अलग-अलग जाना चाहिए. महबूबा ने कहा कि उनका जो भी एजेंडा होगा, हम अपना एजेंडा उनके सामने रखेंगे. साथ ही उम्मीद करेंगे कि हमारे जाने से कम से कम इतना हो कि जेलों में बंद हमारे लोगों को रिहा किया जाए. अगर रिहा नहीं कर सकते तो कम से कम जम्मू-कश्मीर ले आएं ताकि उनके परिवार के लोग तो उनसे मिल सकें.
इसके साथ ही महबूबा ने आगे कहा कि गुपकार गठबंधन का जो एडेंडा है उसके तहत हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करेंगे. जो हमसे छीना गया है उसपर बात करेंगे कि यह गलत किया है, यह गैर कानूनी रहा है, असंवैधानिक है, इसको बहाल किए बगैर जम्मू कश्मीर में अमन बहाल नहीं कर सकते. बता दें कि अगस्त 2019 में मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाकर इसे केंद्रशासित प्रदेश घोषित कर दिया था. इसके बाद से राज्य की अलगाववादी ताकतें परेशान हैं तथा धारा 370 की बहाली की मांग कर रही हैं जो नामुमकिन है.