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इतिहास बना नीरज प्रजापति? मुस्लिम मोहल्ले में ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ करती भीड़ के हमले में हुई थी मौत... 2 साल बाद परिवार बदहाल

बता दें झारखंड के लोहरदगा में 23 जनवरी 2020 को CAA के समर्थन में एक विशाल रैली का आयोजन हुआ था। मुस्लिम मोहल्ले में पहुँचते ही इस रैली पर पत्थरबाजी शुरू हो गई थी।

Prem Kashyap Mishra
  • Jan 28 2022 9:47PM

आपको शायद नीरज प्रजापति याद होगा। ये वही नीरज प्रजापति है, जो मूर्तियाँ बनाकर अपने परिवार का पालन-पोषण करते थे। जिनकी मौत झारखंड के लोहरदगा में सीएए समर्थक रैली पर हुए हमले के दौरान आई चोटों से हुई थी। नीरज की मौत के दो साल बाद ही स्थानीय थाने के प्रभारी इस मामले से बिल्कुल अनजान हो चुके हैं। झारखंड की सरकार से लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) तक सभी जगह नीरज की विधवा को निराशा हाथ लगी है। इस समय परिवार की स्थिति ठीक नहीं है। नीरज की पत्नी का कहना है कि उस समय लोगों ने बड़े-बड़े वादे कर हमें संतुष्ट किया था।  समय बीतने के साथ सभी लोग उसे भूला चुके है।

बता दें झारखंड के लोहरदगा में 23 जनवरी 2020 को CAA के समर्थन में एक विशाल रैली का आयोजन हुआ था। मुस्लिम मोहल्ले में पहुँचते ही इस रैली पर पत्थरबाजी शुरू हो गई थी। भीड़ में शामिल हर एक को निशाना बनाया गया। दुकानों में तोड़फोड़ करने के साथ वाहनों में आग तक लगाई गयी थी। हमलावरों भीड़ में नारा ए तकबीर, पाकिस्तान जिंदाबादजैसे नारे लगाए। इसी हिंसा की चपेट में आए थे नीरज प्रजापति। नीरज के सिर पर पीछे से रॉड द्वारा किये गए हमले से उन्हें ब्रेन हेमरेज हो गया था। 27 जनवरी 2020 को राँची के रिम्स में उनकी मृत्यु हो गई थी

दरअसल नीरज मूर्ति बनाकर अपने परिवार का पालन-पोषण करते थे। उनके ऊपर पूरे परिवार की जिम्मेदारी थी।  और नीरज की पत्नी के अलावा एक 11 साल की बेटी और एक 5 साल का बेटा हैं। नीरज की पत्नी ने झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर अपने पति की मौत के लिए न्याय करने और अपने बेसारा परिवार के भरण-पोषण के लिए मुआवजा देने की मॉंग की थी।

 आपको बता दें नीरज प्रजापति की अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए मात्र 30-35  लोगों की संख्या पुलिस प्रशासन द्वारा तय की गई थी। बाहरी लोगों को अंतिम यात्रा शामिल होने की अनुमति नहीं थी। रास्ते में मस्जिद पड़ने के चलते नीरज प्रजापति का अंतिम संस्कार गाँव के श्मशान में नहीं होने दिया गया था। जल्दबाजी के चक्कर में अंतिम संस्कार की धार्मिक रीति-रिवाज को भी पूरा नहीं करने दिया गया था। साथ ही किसी को छत से भी नीरज की अंतिम यात्रा देखने तक की अनुमति नहीं थी। टॉर्च की रोशनी में रात में ही अंतिम संस्कार करवाया गया था।

जानकारी के अनुसार एक पत्रकार से वात करते हुए नीरज की पत्नी ने बताया, “मेरे पति घर की रीढ़ थे। वो टूट गई है। बेटे के दुःख में उनके पिता जी भी चल बसे। बाद में सितम्बर 2021 में बीमार भाभी भी चल बसीं। अब मेरे 2 और नीरज के बड़े भाई के 3 बच्चे मिला कर कुल 5 बच्चे हैं। कई लोगों ने उस समय बच्चो को पढ़ाने आदि जैसे बड़े-बड़े वादे किए थे। लेकिन अब कोई नहीं आता। वो वादा किया ही न जाए जो पूरा न हो। मैंने दिल्ली में इस पूरे मामले की शिकायत की थी, लेकिन वहाँ भी यह केस बंद कर दिया गया।

आपको बता दें कि नीरज की पत्नी ने अपने परिवार के पालन-पोषण के लिए झारखंड की सरकार से मुआवजे की मांग की है। क्योंकि नीरज की पत्नी अपने परिवार के देखरेख के लिए इधर- उधर भटक रही है। इस समय नीरज के परिवार का हाल-बेहाल है।क्योंकि नीरज प्रजापति का परिवार भुखमरी की कगार पर खड़ा है।

 

 

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