भारत के नेताओं की बयानबाजी में अक्सर आप ने सुना होगा कि अगर आप आतंकवाद और कट्टरपंथ को कम करना या घटाना चाह रहे हैं तो आप को शिक्षा का ज्यादा से ज्यादा प्रसार करना होगा और साक्षरता पर जोर देना होगा. यही सूत्र वो सेक्युलर नेता कश्मीर में आये दिन लगाते हैं लेकिन सर्वाधिक केरल के बारे में बात नही करते जहाँ से ISIS के लिए लड़ने गये आतंकियों की संख्या अच्छी खासी है.
भारत के धर्मनिरपेक्ष उन्ही नेताओं को एक बड़ा सवाल आया है विदेश से जहाँ पर एक मुस्लिम पायलट ने अपनी नौकरी तक को छोड़ने की तैयारी कर के बेरोजगार होना उचित समझ लिया लेकिन इजरायल यानि कि यहूदियों के देश में फ्लाईट ले जाने से साफ़ साफ इंकार कर दिया और इसको अपने दीन - मजहब एक खिलाफ घोषित कर दिया.
ये मामला उस इस्लामिक मुल्क सऊदी अरब से हैं जो दुनिया भर के मुसलमानों की अकीदत का मूल केंद्र है. यहाँ के सुल्तान आज कल मुसलमानों का एक अलग ही रूप दुनिया के आगे पेश करने की फिराक में लगे हैं और अपने मुल्क में महिलाओं को कई प्रतिबंधो से छूट देते जा रहे हैं. यद्दपि भारत तक के कई मुस्लिम उनका विरोध कर रहे हैं.
फिलहाल इस पायलट का साथ सऊदी अरब ने भी दिया है.सयुंक्त अरब अमीरात ने उन अफवाहों का खंडन किया है कि जिसमे एक ट्यूनीशियाई पायलट को तेल अवीव, इज़राइल के लिए उड़ान भरने से इनकार करने के लिए काम से निलंबित कर देने का दावा किया गया है।
पिछले साल सितंबर में एक ऐतिहासिक डील के बाद यूएई ने इजरायल तक उड़ानों का संचालन शुरू किया, जिसके तहत दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य हो गए। समाचार एजेंसी अल बायन के अनुसार, एयरलाइन ने कहा कि उसने मोनीम साहिब अल-ताबा नाम के किसी भी पायलट को काम पर नहीं रखा है, जानकारी के विपरीत ऑनलाइन मीडिया रिपोर्ट्स प्रसारित होती रही हैं।