उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की किस्तें ऐसे लोगों को मिली हैं जो इस योजना के लिए पात्र ही नहीं हैं. ऐसे लाभार्थी जो लघु या सीमांत किसान नहीं हैं, उनकी तादाद 7.10 लाख से भी अधिक है. कृषि विभाग ने सभी जिलों में निधि पाने वालों की पड़ताल कराई तो हकीकत सामने आ गई. इसके लिए विभाग खुद जिम्मेदार है क्योंकि सत्यापन में सबसे अधिक गड़बड़ियां गलत खातों में धन भेजे जाने की हैं.
2.34 लाख ऐसे लाभार्थी जो आयकरदाता देते हैं
जांच में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के 2.34 लाख ऐसे लाभार्थी मिले हैं, जो आयकरदाता हैं. सत्यापन में पुष्टि के बाद अपात्रों से धन वापस लिया जाएगा, इसका जिम्मा जिलों में तैनात विभागीय अफसरों को सौंपा गया है. केंद्र सरकार फरवरी, 2019 से लघु व सीमांत किसानों के खाते में हर 4 महीने में 2000 रुपये सहित कुल 6000 रुपये प्रतिवर्ष भेज रही है. उत्तर प्रदेश में 16.48 करोड़ किसानों को एक से लेकर आठ किस्तें मिली हैं.
केंद्र ने जांच करवाई तो सामने आया फर्जीवाड़ा
इस योजना के दो साल पूरे होने पर केंद्र सरकार ने पड़ताल शुरू करवाई कि कहीं अपात्र तो लाभ नहीं ले रहे? निधि वाले बैंक खातों को आधार व आयकर विभाग से लिंक किया गया तो सामने आया कि आयकरदाता भी योजना का लाभ ले रहे हैं. केंद्र ने ऐसे लाभार्थियों पर सीधे कार्रवाई न करके राज्य सरकार को सत्यापन कराने का निर्देश दिया. कृषि विभाग ने जिला प्रशासन के साथ सभी जिलों में जांच कराई.
कई और तरीकों से हड़पी गई योजना की राशि
आयकरदाता के अलावा भी कई बिंदुओं पर जांच की गई, 15 जुलाई तक सत्यापन का कार्य लगभग पूरा हो गया. इसमें सामने आया कि लोग अन्य तरीकों से भी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि हासिल कर रहे हैं. जैसे, लाभार्थी की मौत होने के बाद भी सम्मान निधि खातों में आती रही, फर्जी आधार कार्ड से भी निधि हड़पी गई है.
इन बिंदुओं की जांच में मिले अपात्र
1. आयकरदाता : 2,34,010
2. मृतक किसान : 32,300
3. गलत खाते, फर्जी आधार : 3,86,000
4. अन्य वजह से अपात्र जैसे भूलेख आदि : 57,900
कुल: 7,10,210
अब अपात्र लाभार्थियों से वापस लिया जाएगा पैसा
उत्तर प्रदेश के कृषि निदेशक विवेक सिंह ने बताया कि प्रदेश में मिले अपात्र लाभार्थियों से रिकवरी करके उसे खाते में जमा कराया जाएगा. निदेशक व वित्त नियंत्रक का संयुक्त खाता खोला गया है. अपात्रों से राशि की रिकवरी का जिम्मा जिलों में तैनात उप कृषि निदेशकों को दिया गया है. यह भी निर्देश हैं कि रिकवरी होने पर संबंधित अपात्र लाभार्थी को उसकी रसीद दी जाए. अभियान के दौरान 2020-21 के 5 प्रतिशत व 2021-22 के 10 फीसद लाभार्थियों की जांच की गई.