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रक्षा मंत्रालय ने दिया जोर का झटका, MES में 9,300 से ज्यादा नौकरियां खत्म

मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विसेज भारत में सबसे बड़ी निर्माण और मेंटिनेंस एजेंसियों में से एक है, जिसका कुल वार्षिक बजट लगभग 13,000 करोड़ रुपये है.

Abhishek Lohia
  • May 8 2020 12:26AM

रक्षा मंत्रालय ने लड़ाकू क्षमताओं को बढ़ाने और रक्षा खर्च में संतुलन लाने के उद्देश्य से मौजूदा 13,000 रिक्तियों में से 9,304 पदों को खत्म कर दिया है. लेफ्टिनेंट जनरल शेखतकर की अगुवाई वाली विशेषज्ञों की समिति (कमिटी ऑफ एक्सपर्ट्स) की सिफारिशों के बाद यह फैसला लिया गया है, जिसमें सशस्त्र बलों की लड़ाकू क्षमता और रक्षा व्यय को संतुलित करने को लेकर सिफारिश की गई थी. इस फैसले का मकसद मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस (एमईएस) को एक प्रभावी कार्यबल के साथ एक प्रभावी संगठन बनाना है, जो एक कुशल और कम लागत में प्रभावी तरीके से उभरते परिदृश्य में जटिल मुद्दों को संभालने में सक्षम हो.

इंजीनियर-इन-चीफ के प्रस्ताव को मंजूरी

रक्षा मंत्रालय ने कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुनियादी और औद्योगिक कार्यबल में 9,300 से अधिक पदों के अनुकूलन के लिए मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस (एमईएस) के इंजीनियर-इन-चीफ के प्रस्ताव को मंजूरी दी है.

समिति द्वारा की गई सिफारिशों में से एक नागरिक कार्यबल को इस तरह से पुनर्गठित करना शामिल है जिसमें एमईएस का काम आंशिक रूप से विभागीय कर्मचारियों द्वारा किया जा सके और अन्य कार्यों को आउटसोर्स करा लिया जाए.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, रक्षा मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि इंजीनियर-इन-चीफ, एमईएस के प्रस्ताव के आधार पर समिति द्वारा की गई सिफारिशों के अनुरूप, मूल और औद्योगिक कर्मचारियों के कुल 13,157 रिक्तियों में से एमईएस में 9,304 पदों को समाप्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। समिति ने सैन्य बलों की क्षमता बढ़ाने और रक्षा खर्चों को संतुलित करने के लिए यह सिफारिश की गई थी।

पैनल द्वारा की गई सिफारिशों में कहा गया है कि एमईएस का पुनर्गठन किया जाए। एमईएस का काम आंशिक रूप से विभागीय कर्मचारियों द्वारा किया जा सके और अन्य कार्यों को आउटसोर्स से कराया जाए।

एमईएस की भूमिका: 

मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विसेज भारतीय सेना की प्रमुख निर्माण कंपनी है। यह भारत में सबसे बड़ी निर्माण और मेंटिनेंस एजेंसियों में से एक है, जिसका कुल वार्षिक बजट लगभग 13,000 करोड़ रुपये है। यह मुख्य रूप से भारतीय सेनाओं, आयुर्विज्ञान कारखानों, डीआरडीओ और भारतीय तट रक्षक सहित भारतीय सशस्त्र बलों के लिए इंजीनियरिंग और निर्माण कार्यों का प्रबन्धन करती है। MES के पूरे भारत में छह सौ से अधिक स्टेशन हैं.

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