वीर सावरकर को लेकर बीते कुछ दिनों से काफी चर्चा हो रही है, जिसको लेकर तमाम पार्टियां अलग-अलग तर्क दे रही है और साथ ही साथ अलग अलग बाते भी कर रही है। पहले से ही लगभग सभी विपक्षी पार्टियां वीर सावरकर पर हमलावर रही है, और उनके खिलाफ कई प्रकार की बाते भी कहती रहती है।
इसी बीच वीर सावरकर की बात पर संघ प्रमुख मोहन भागवत सामने आए है, उन्होंने कहा है कि आरएसएस और सावरकर के बीच कोई मतभेद नहीं थे। सावरकर राजनीति में थे और संघ का काम समाज को जोड़ना है। सावरकर को चुनाव लड़ना था, तो कुछ बातचीत हुई थी, लेकिन मतभेद नहीं था। भागवत ने कहा कि डॉ हेडगेवार और सावरकर के बीच बहुत अच्छे रिश्ते थे और संघ के विस्तार में सावरकर के बड़े भाई ने काफी सहयोग किया। मैंने भी कभी सावरकर के बारे में कुछ गलत नहीं कहा।
आज़ादी के बाद से ही सावरकर जी को बदनाम करने की हो रही कोशिश : मोहन भागवत
भागवत ने आगे कहा कि आजादी के बाद से ही वीर सावरकर को बदनाम करने की मुहिम चलाई जा रही है। लेकिन अब इस पुस्तक से लोगों में ये भ्रम टूट जाएगा। इसके बाद स्वामी विवेकानंद, स्वामी दयानंद सरस्वती और योगी अरविंद का नंबर है, क्योंकि वीर सावरकर की ही तरह इनके बारे में भी गलत जानकारियां फैली हैं। वीर सावरकर जो भी थे, इन्हीं तीनों के विचारों से प्रभावित थे।
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए भागवत ने इशारों ही इशारों में विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधा, जो सावरकर के बारे टिप्पणी करते रहे हैं। भागवत ने कहा कि वीर सावरकर को लेकर आज भी भारत में जानकारी का अभाव है, लोगों तक उनके बारे में गलत जानकारियां हैं।
....तो नहीं होता देश का बंटवारा : भागवत
मोहन भागवत ने कहा कि अगर उस समय सभी ने जोर से बोला होता तो देश का विभाजन नहीं होता। लेकिन आज लोग कहते हैं कि ये वीर सावरकर का हिंदुत्व है, ये विवेकानंद का हिंदुत्व है। जबकि हिंदुत्व तो केवल एक ही है, वो पहले भी था और आखिर तक रहेगा। उन्होंने कहा कि अशफाक उल्लाह खान ने कहा था कि मरने के बाद वह भारत में ही जन्म लेंगे। ऐसे महान लोगों की आवाज को गूंजना चाहिए।