बुधवार दोपहर लगभग 1 बजे, जब पूरे देश के सामने ये खबर सामने आई की CDS बिपिन रावत का हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया है, तब न सिर्फ उनके करीब बल्कि पूरा भारतवर्ष चिंतित हुआ और सभी लोग उनके कुशल होने की कामना करने लगे, लेकिन शायद समय को कुछ और ही मंजूर था और CDS रावत के देहांत की खबरों ने हर भारतवासी को वैचारिक और मानसिक रूप से तोड़ के रख दिया।
जनरल बिपिन रावत ने अपना पूरा जीवन देश और सेना को समर्पित कर दिया, वे देश के पहले CDS थे और तत्परता से अपने काम का निर्वाहन कर ही रहे थे कि ऐसी खबर ने उनके शौर्य से अभिभूत कार्यकाल पर विरामचिन्ह लगा दिया। और भारत की शौर्यगाथा के एक और शूरवीर यादो की उस दुनिया में चले गए जहा से यादो के अलावा कुछ और नहीं लौटता।
मिला दुर्घटनाग्रस्त हेलीकाप्टर का 'ब्लैक बॉक्स'
हादसे के बाद जब जांच टीम मौके पर पहुंची तो हर जगह विमान के मलबों और घने जंगलो के बीच विमान का 'ब्लैक बॉक्स' ढूँढना एक बहुत बड़ा कार्य था, लेकिन फिर भी जांच टीम ने कुशलतापूर्ण ये काम किया और अंततः 'ब्लैक बॉक्स' ढूँढ निकाला। अब अपने अंदर हेलीकाप्टर क्रैश की 'मिस्ट्री' रखे हुए इसी 'ब्लैक बॉक्स' से दुर्घटना की साड़ी जानकारी मिलेगी।
जब भी कोई विमान हादसा (Plane Crash) होता है जो आपके जेहन में एक बात आती होगी कि जांच एजेंसियां उसके ब्लैक बॉक्स (Black Box) को ढूंढने की कोशिश में क्यों लगी रहती है. आखिर उसमें ऐसा क्या होता है जो दुर्घटना के हर राज को खोल देती है.
आखिर क्या होता है ब्लैक बॉक्स?
‘ब्लैक बॉक्स' हर किसी प्लेन का सबसे जरूरी हिस्सा होता है. ब्लैक बॉक्स सभी प्लेन में रहता है चाहें वह पैसेंजर प्लेन हो, कार्गो या फाइटर. यह वायुयान में उड़ान के दौरान विमान से जुडी सभी तरह की गतिविधियों को रिकॉर्ड करने वाला उपकरण होता है.इसे 'फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर' भी कहा जाता है.
आम तौर पर इस बॉक्स को सुरक्षा की दृष्टि से विमान के पिछले हिस्से में रखा जाता है. ब्लैक बॉक्स बहुत ही मजबूत मानी जाने वाली धातु टाइटेनियम का बना होता है और टाइटेनियम के ही बने डिब्बे में बंद होता है ताकि ऊंचाई से जमीन पर गिरने या समुद्री पानी में गिरने की स्थिति में भी इसको कम से कम नुकसान हो.
अपने में ख़ास है ये उपकरण
'ब्लैक बॉक्स' कोई आम चीज़ नहीं बल्कि अपने में एक ख़ास उपकरण है। ये विमान की दिशा, ऊँचाई (altitude) , ईंधन, गति (speed), हलचल (turbulence), केबिन का तापमान इत्यादि सहित 88 प्रकार के आंकड़ों के बारे में 25 घंटों से अधिक की रिकार्डेड जानकारी एकत्रित रखता है. यह बॉक्स 11000°C के तापमान को एक घंटे तक सहन कर सकता है जबकि 260°C के तापमान को 10 घंटे तक सहन करने की क्षमता रखता है. इस दोनों बक्सों का रंग काला नही बल्कि लाल या गुलाबी होता है जिससे कि इसको खोजने में आसानी हो सके.
आखिर कैसे मिल जाता है 'ब्लैक बॉक्स'
ब्लैक बॉक्स बिना बिजली के भी 30 दिन तक काम करता रहता है. जब यह बॉक्स किसी जगह पर गिरता है तो प्रत्येक सेकेण्ड एक बीप की आवाज/तरंग लगातार 30 दिनों तक निकालता रहता है. इस आवाज की उपस्थिति को खोजी दल द्वारा 2 से 3 किमी. की दूरी से ही पहचान लिया जाता है. इसके एक और मजेदार बात यह है कि यह 14000 फीट गहरे समुद्री पानी के अन्दर से भी संकेतक भेजता रहता है.