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16 अक्टूबर:- आज ही बंटा था बंगाल.. पूरब में होते हुए भी बंगाल “पश्चिम बंगाल” क्यों कहा जाता है .. जानिये

16 अक्टूबर का भारत के इतिहास से रिश्ता बुरा ही सही पर बताना था पूर्ववर्ती लोगों को पर चाटुकारिता से लिखा गया.

Rahul Pandey
  • Oct 16 2020 12:55PM
क्रांतिकारियों से नफरत करने वाले एक अंग्रेज उच्च अधिकारी ने, सेवानिवृत्ति के बाद, कुछ अंग्रेज टाईप भारतीयों को लेकर 1885 में “इंडियन नेशनल कांग्रेस” की स्थापना की थी, जिसका उद्देश्य अर्द्ध अंग्रेज अर्द्ध भारतीय लोगों का सहारा लेकर, जनता के मन में अंग्रेजों के प्रति नफरत कम करना था… 

ए. ओ. ह्युम की यह चाल कामयाब रही और लगभग बीस साल तक कोई क्रांतिकारी घटना नहीं हुई. 1905 में 16 अक्टूबर के दिन अंग्रेजों ने मुसलमानों को खुश करने के लिए, हिन्दू – मुस्लिम आवादी के घनत्व के आधार पर बंगाल का विभाजन कर दिया. 

यह बात देशभक्त हिन्दुओं को बर्दाश्त नहीं हुई और अंग्रेजों के खिलाफ माहौल बनने लगा. बंग-भंग का बहुत बिरोध हुआ. हालांकि अंग्रेजों के खिलाफ बंगाल पहले ही जागने लगा था. 1902 से ही अनुशीलन समिति और युगांतर जैसी संस्थाए उभरने लगी थीं, जो सशत्र क्रान्ति के द्वारा अंग्रेजों को भगा देना चाहती थीं.

लेकिन इनको जन समर्थन नही मिलता था. ए. ओ. ह्युम की कांग्रेस ने इतना बढ़िया काम किया था कि- भारत की आम जनता भी अंग्रेजों के खिलाफ कुछ नहीं सुनती थी. बंग-भंग के बाद युगांतर और अनुशीलन समिति ने अंग्रेजों के खिलाफ कार्यवाहियां तीव्र कर दीं, इनका उद्घोष था “वन्देमातरम”. 

भले ही आज चरमपंथ ने दिखा और दशा बदल दी हो पर उस समय बंगाल के समस्त लोग चाहे वो हिन्दू हों या मुस्लिम वन्देमातरम का उद्घोष करने लगे थे. ये लोग अत्याचार से लड़ने के लिए बम बनाने, युवाओं को पर्शिक्षण देने का काम करते थे और मौक़ा मिलने पर अंग्रेजों और उनके चापलूसों का बध करने से नहीं चूकते थे. उन दिनों हिन्दू और मुस्लिम सभी “वन्देमातरम” का उद्घोष करते थे. 

तब इन लोगों ने बड़ी चालाकी से मुसलमानों को समझाना शुरू किया कि- वन्देमातरम का उद्घोष इस्लाम बिरोधी है. उनकी यह चाल भी काफी हद तक कामयाब रही और मुस्लिम क्रान्ति से दूर हो गए, इसी लिए द्वितीय स्वाधीनता संग्राम में बहुत ढूँढने पर इक्का दुक्का मुस्लिम नाम दिखाई देंगे.  

मदनलाल धींगरा द्वारा कर्नल वायली का बध करने पर सावरकर की आलोचना की, कि – युवाओं को आतंकवाद का गलत रास्ता दिखा रहे हैं. नाशिक के कलेक्टर जैक्सन के बध के लिए भी सावरकर को दोषी बताया. अंग्रेज अथवा अंग्रेज के चापलूस भारतीय के बध पर, यह लोग आलोचना करते थे.

लेकिन अंगेजों द्वारा किसी क्रांतिकारी की ह्त्या, फांसी अथवा कालापानी की सजा पर चुप्पी साध लिया करते थे. अंग्रेजों ने जैक्सन की ह्त्या का षड्यंत्र करने का आरोप लगाकर, 4 जुलाई 1911को द्वितीय स्वाधीनता संग्राम के सूत्रधार सावरकर को कालापानी की सजा दे दी.  

जब 1905 में मजहबी आधार पर बंगाल का विभाजन किया गया तब मुसलमानों सहित समाज के सभी वर्गों के लोग जुड़ें, इस हेतु किसी प्रकार का तुष्टीकरण न करते हुए धरती व परम्परा के प्रति विशुद्ध प्रेम का आह्वान किया गया. दूसरी ओर बंग-भंग आन्दोलन का नेतृत्व करने वाले लोगों का अदम्य विश्वास तथा अविचल निष्ठा थी. 

जिसकी झलक हमें तब दिखाई देती है जब बंग-भंग के जनक लार्ड कर्जन ने अहंकार से कहा “दि पार्टीशन आफ बंगाल इज ए सेटिल्ड फैक्ट”, (बंगाल का विभाजन एक निर्णायक तथ्य है) इस पर राष्ट्र ऋषि सुरेन्द्र नाथ बनर्जी ने कहा “आई विल अनसेटिल द सेटिल्ड फैक्ट” (मैं इस निर्णायक तथ्य को पलट कर रख दूंगा). 

यह विश्वास व विशुद्ध राष्ट्रवादी आह्वान ही इस कृत्रिम विभाजन को मिटाने का कारण बना. आज उस दिवस से सबको बड़ी शिक्षा लेते हुए भविष्य को सुधारने का संकल्प लेने का समय है . 16 अक्टूबर का भारत के इतिहास से रिश्ता बुरा ही सही पर बताना था पूर्ववर्ती लोगों को पर चाटुकारिता से लिखा गया कई पन्नो का इतिहास अक्सर वो अपराध कर देता है समाज के साथ जो बंगाल को बांटने वाले भी नहीं कर पाए . सुदर्शन न्यूज उस सच्चे इतिहास को सत्य रूप में सबके आगे लाने को कृत संकल्पित है.

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