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PM मोदी को गाली तो वाह वाह, खालिस्तान व भिंडरावाले के खिलाफ बोले तो कर दिया सस्पेंड... कथित किसान आंदोलन का ये कैसा रूप?

सवाल उठता है कि अगर ये आंदोलन किसानों का आंदोलन है तो यहाँ देश विरोधी खालिस्तानी आतंकी व भिंडरावाले के खिलाफ बोलने पर किसान नेता को सजा क्यों दी जाती है? उन्हें सस्पेंड क्यों किया जाता है?

Abhay Pratap
  • Jul 27 2021 1:04PM

देश नए कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे कथित किसान आंदोलन के नित नए रूप देख रहा है. किसानों के नाम पर चल रहा ये वो आंदोलन है जिसमें जब कहा जाता है कि "इंदिरा को ठोंक दिया, मोदी को ठोंक देंगे" तो तालियां बजती है. इस कथित किसान आंदोलन में 26 जनवरी को लालकिले पर तिरंगे का अपमान किया जाता है, पुलिस वालों को पीटा जाता है. इस कथित किसान आंदोलन में एक युवती का सामूहिक बलात्कार किया जाता है तो टिकरी बॉर्डर पर एक व्यक्ति को जिंदा जलाकर मार दिया जाता है.

लेकिन जब इस कथित किसान आंदोलन में जब एक किसान खालिस्तान व खालिस्तानी आतंकी भिंडरावाले के खिलाफ बोलता है तो आंदोलन को संचालित कर रहा संयुक्त किसान मोर्चा उस किसान नेता को सस्पेंड कर देता है. ऐसे में सवाल उठता है कि अगर ये आंदोलन किसानों का आंदोलन है तो यहाँ देश विरोधी खालिस्तानी आतंकी व भिंडरावाले के खिलाफ बोलने पर किसान नेता को सजा क्यों दी जाती है? उन्हें सस्पेंड क्यों किया जाता है? पीएम मोदी को ठोकने की बात कहने पर तालियाँ बजती हैं लेकिन खालिस्तान का विरोध करने पर सस्पेंड किया जाता है, आखिर क्यों?

किसान आंदोलन में भाषण के दौरान पंजाब किसान यूनियन के अध्यक्ष रूलदू सिंह मनसा को अपने भाषण के दौरान खालिस्तानी आतंकी जरनैल सिंह भिंडरावाले की आलोचना करना भारी पड़ गया है. 25 जुलाई 2021 को संयुक्त किसान मोर्चा ने रुलदू सिंह मनसा पर कार्रवाई करते हुए उन्हें 15 दिनों के लिए सस्पेंड कर दिया है. बता दें कि मनसा ने भाषण के दौरान प्रतिबंधित खालिस्तानी संगठन सिख फॉर जस्टिस के मुखिया गुरुपतवंत सिंह पन्नू पर सिख युवाओं का ब्रेनवॉश करने का इल्जाम लगाया था.

मनसा के बयान पर पंजाब के 32 सिख संगठनों ने आपत्ति जताई थी, जिसके बाद मनसा के खिलाफ यह एक्शन लिया गया है। मनसा पर सिख समुदाय की भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाया गया था। यूनियन लीडर हरिंदर सिंह लखोवाल ने 32 सिख समूहों की मीटिंग का नेतृत्व किया और जगजीत सिंह दल्लेवाल ने संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक की अगुवाई की थी। कुंडली बॉर्डर पर मीडिया से बात करते हुए दल्लेवाल ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा के मंच से मनसा ने जो भाषण दिया था, उससे सिखों की भावनाओं को ठेस पहुंची है और ये हमारे संगठन की नीतियों के विरुद्ध है.

लखोवाल ने रूलदू सिंह के भाषण को सिखों और बलिदानियों के खिलाफ करार दिया था. इसी के बाद मनसा पर 15 दिनों के लिए किसी भी मंच से कोई भी बयान देने पर बैन लगा दिया गया है. बता दें कि रूलदू सिंह मनसा ने 21 जुलाई 2021 को प्रदर्शन कर रहे किसानों को संबोधित किया था. इस दौरान उन्होंने विरोध प्रदर्शनों में खालिस्तानी ताकतों के घुसपैठ को लेकर भी बयान दिया था. हालाँकि, उन्होंने जरनैल सिंह भिंडरावाले या खालिस्तान आंदोलन का सीधे तौर पर नाम नहीं लिया था, किन्तु उनका भाषण स्पष्ट रूप से खालिस्तानियों के खिलाफ था.

मनसा ने कहा था कि वे अमेरिका में बैठे हैं. मैं उन्हें सरकार द्वारा किराए पर लिए गए कुत्ते कहूँगा. ये भौंकते ही रहते हैं, लेकिन हम जानते हैं कि कैसे (अमृतसर) वहाँ बैठा एक कुत्ता पंजाब में युवाओं को भड़का रहा है. इनके उकसावे के कारण ही हमारे 25,000 युवा पुलिस के हाथों बलिदान हो गए. अब पन्नू नाम का यह कुत्ता ये करो, वो करो भौंक रहा है. एक और है हमेशा किसान नेताओं के खिलाफ बोलता है. मेरे दोस्तों आपकी कमाई डॉलर क्यों है? यहाँ आओ, ताकि तुम इस युद्ध की हकीकत जान सको. विदेश में बैठकर सुझाव देना आसान है.

हालांकि अब इस बारे में मनसा की सफाई भी एक ऑडियो भी वायरल हो रही है. क्लिप में मानसा कह रहे हैं कि मोर्चा ने मेरा निलंबन किया है. मुझे उसका फैसला स्वीकार है. मैं मोर्चा के लिए जान दे सकता हूं. लेकिन मुझे क्यों निलंबित किया गया, मेरी गलती तो बताई जाए. कोई कहता है कि भिंडरावाला पर आपने टिप्पणी की. इसपर मानसा कहते हैं कि मैं क्या कोई भी भिंडरावाला पर टिप्पणी नहीं कर सकता. आंदोलन में भिंडरावाला के भाई कुछ दिन पहले आए थे. मुझसे प्रेम से मिले थे. हालचाल पूछा था.

मानसा की इस सफाई के बाद  सवाल उठ रहे हैं कि जब मानसा ने भिंडरावाला के बारे में भी कुछ नहीं कहा तो उन्हें क्यों निलंबित किया गया, इसे स्पष्ट रूप से बताया जाना चाहिए. और यदि उन्होंने भिंडरावाला के बारे में कुछ कहा भी, जिससे अब मुकर रहे हैं तो भिंडरावाला क्या देश के लिए बलिदान हुआ था, जिससे उसका सम्मान किया जाए? भिंडरावाले खालिस्तानी आतंकी था, उसने देशद्रोह किया था. सरकार की तरफ से कार्रवाई की गई और वह मारा गया. स्पष्ट है कि संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं पर या तो खालिस्तान समर्थक हावी हैं या फिर मोर्चा के नेताओं को खालिस्तान समर्थकों से सहानुभूति है. पहले भी धरनास्थल पर भिंडरावाला के पोस्टर लगते रहे हैं.

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