केरल में आतंकवाद की उपज अधिक संख्या में हो रही है अब तक यह मीडिया दिखाती आ रही थी और जनता बोल रही थी लेकिन केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने जो खुलासा किया है इससे आप हतप्रभ और चौक जायेंगे ऐसा इसलिए क्यूंकि मुख्यमंत्री ने खुद प्रेस कांफ्रेंस कर यह जानकारी दी है की केरल में 2019 से अब तक केरल से ISIS में शामिल होने वाले 100 मलयालियों में से लगभग 94 मुस्लिम थे और बांकी को कनवर्टेड करके मुस्लमान बनाया गया।
दरअसल एक प्रेस मीटिंग को संबोधित करते हुए, सीएम विजयन ने दूसरे धर्म की लड़कियों की प्यार का लालच देकर इस्लाम में परिवर्तित कराने के बाद उन्हें आतंकवादी संगठनों में शामिल करने की बात को निराधार बताया। उन्होंने कहा, "सरकार ने तथ्यों की जांच की है। आईएसआईएस में शामिल होने वाले 100 मलयाली में से 72 अपने प्रोफेशनल के लिए विदेश गए और आईएस के विचारों से प्रभावित होकर उसमें शामिल हो गए। एक हिंदू को छोड़कर सभी मुस्लिम समुदाय से थे। अन्य 28 को ISIS की विचारधारा से आकर्षित पाया गया। ISIS में शामिल होने वाले 28 लोगों में से केवल 5 दूसरे धर्मों से इस्लाम में परिवर्तित हुए।
डी-रेडिकलाइजेशन के प्रयासों पर बोलते हुए, सीएम विजयन ने चीजों को नियंत्रण में लाने में केरल पुलिस के काम की सराहना की है। उन्होंने जोर देकर कहा कि 2018 से राज्य पुलिस की स्पेशल ब्रांच युवाओं के लिए डी-रैडिकलाइजेशन प्रोग्राम चला रही है। सीएम विजयन ने आगे कहा, "कुछ युवा जो आईएसआईएस के विचारों से प्रभावित थे, उन्हें डी-रेडिकलाइज किया गया और मुख्यधारा में वापस लाया गया। विभिन्न जिलों में महल समितियों के माध्यम से काउंटर रेडिकलाइजेशन कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं जो सफल भी हैं।" हालांकि सीएम विजयन ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण 2020 में डी-रेडिकलाइजेशन कार्यक्रम रुक गया था। लेकिन अब इसे फिर से शुरू किया जाएगा।
इसके अलावा, बिशप द्वारा ‘नारकोटिक्स जिहाद’ पर लगाए गए आरोपों को खारिज करने के लिए, सीएम ने ड्रग्स पर सरकारी आँकड़ों का हवाला देते हुए दावा किया कि मादक पदार्थों की तस्करी और मजहब के बीच कोई संबंध नहीं था। मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने बताया, “2020 में नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (एनडीपीएस) 1985 अधिनियम के तहत, केरल में 4,941 मामले दर्ज किए गए थे। 5,422 आरोपितों में से 2700 (49.80 फीसदी) हिंदू थे, 1869 (34.47 फीसदी) मुस्लिम थे और 853 (15.73 फीसदी) ईसाई थे।” एक खराब तर्क देते हुए, विजयन ने आगे कहा, “अनुपात यह नहीं बताता है कि मादक पदार्थों की तस्करी किसी विशेष धर्म पर आधारित है। साथ ही, जबरन नशीली दवाओं के इस्तेमाल से धर्म परिवर्तन का कोई मामला सामने नहीं आया है।