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Pegasus जासूसी कांड पर संसद में बोले नए IT मंत्री अश्विनी वैष्णव... गलत और आधारहीन हैं रिपोर्ट, लोकतंत्र की छवि खराब करने को फैलाई सनसनी

नए केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्‍णव ने सर्विलांस के प्रोटोकॉल्‍स को गिनाते हुए कहा कि किसी तरह का अवैध सर्विलांस हमारे सिस्‍टम में संभव नहीं है.

Abhay Pratap
  • Jul 19 2021 5:31PM

पेगासस जासूसी के कथित दावे को लेकर आज संसद के मानसून सत्र में आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सरकार का पक्ष रखा. उन्होंने कहा है कि हमारे कानूनों और मजबूत संस्थानों में जांच और संतुलन के साथ किसी भी प्रकार की अवैध निगरानी संभव नहीं है. भारत में एक अच्छी तरह से स्थापित प्रक्रिया है जिसके माध्यम से राष्ट्रीय सुरक्षा के उद्देश्य से इलेक्ट्रॉनिक संचार का वैध तरीके से इस्तेमाल किया जाता है. आईटी मंत्री ने कहा कि जब हम इस मुद्दे को तर्क के चश्मे से देखते हैं, तो यह स्पष्ट रूप से सामने आता है कि इस सनसनीखेज के पीछे कोई दम नहीं.

पेगासस स्पाइवेयर के जरिए पत्रकारों और कार्यकर्ताओं के फोन हैक होने की खबरों के बीच आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में कहा कि कल रात एक वेब पोर्टल द्वारा एक बेहद सनसनीखेज खबर प्रकाशित की गई. इस खबर के इर्द-गिर्द कई ओवर द टॉप आरोप लगाए गए. संसद के मानसून सत्र से एक दिन पहले प्रेस रिपोर्ट सामने आई है, यह कोई संयोग नहीं हो सकता. उन्‍होंने कहा कि रिपोर्ट कहती है कि डेटा में फोन नंबर्स की मौजूदगी से हैक की पुष्टि नहीं होती.

आईटी मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने कहा कि डेटा से यह साबित नहीं होता कि सर्विलांस हुआ है. NSO ने भी कहा है कि रिपोर्ट गलत है और आधारहीन है. अश्विनी वैष्‍णव ने सर्विलांस के प्रोटोकॉल्‍स को गिनाते हुए कहा कि किसी तरह का अवैध सर्विलांस हमारे सिस्‍टम में संभव नहीं है. अश्विनी वैष्णव ने कहा कि आरोप है कि इन फोन नंबरों से जुड़े लोगों की जासूसी की जा रही है. उन्होंने कहा कि हमारे कानूनों और मजबूत संस्थानों में जांच और संतुलन के साथ किसी भी तरह की अवैध निगरानी संभव नहीं है. भारत में इसके लिए एक अच्छी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से राष्ट्रीय सुरक्षा के उद्देश्य से इलेक्ट्रॉनिक संचार का वैध अवरोधन किया जाता है.

आईटी मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने कहा कि भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 की धारा 5(2) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 69 के प्रावधानों के तहत इलेक्ट्रॉनिक संचार के वैध अवरोधन के लिए अपील प्रासंगिक नियमों के मुताबिक की जाती है. अवरोधन के प्रत्येक मामले को सक्षम प्राधिकारी द्वारा अप्रूव किया जाता है. उन्होंने कहा कि पहले भी पेगासस के इस्तेमाल को लेकर इसी तरह के दावे किए गए थे. उन रिपोर्टों का कोई तथ्यात्मक आधार नहीं था और सुप्रीम कोर्ट सहित सभी पक्षों द्वारा स्पष्ट रूप से इनकार किया गया था. 18 जुलाई 2021 की प्रेस रिपोर्ट भी भारतीय लोकतंत्र और इसकी स्थापित संस्थाओं को बदनाम करने की कोशिश लगती है.

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