भारतीय रेलवे(Indian Railway) हमेशा कुछ न कुछ नए प्रयोग सामने लाती रहती है। उसमे से कई प्रयोग अच्छे भी होते है, वहीँ कुछ विफल भी होते है लेकिन रेलवे काफी तेज रफ़्तार से प्रगति कर रही है। चाहे वनडे भारत जैसी सेमि हाई स्पीड ट्रैन हो इस कुछ ट्रेनों का निजीकरण करना, रेलवे हर बार अपने फैसलों से सामनबे वाले व्यक्ति को चौका देता है।
इस बार अपने विकासो के कीर्तिमान में रेलवे ने पहले 'पॉड' होटल को शुरू करने की बात लिख ली है, आपको बता दे कि ये होटल मुंबई सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर चालू किया गया है। साथ ही साथ रेलवे ने बताय कि आम होटलो से अपेक्षाकृत 'पॉड' होटलो का किराया कम होगा।
क्या होता है पॉड होटल ?
पॉड होटल(Pod Hotel) में कैप्सूल की तरह एक व्यक्ति के सोने के लिए बेहद छोटे कमरे होते हैं, जिनमें तमाम तरह की सुविधाएं होती हैं। यह रिटायरिंग रूम की तुलना में सस्ता है। भारतीय रेलवे के यात्री और यहां तक कि आम लोग भी अब अपेक्षाकृत सस्ती दरों पर यहां आधुनिक विश्राम सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं।
पॉड डिजाइन का यह रिटायरिंग रूम भारतीय रेलवे का अपनी तरह का पहला रिटायरिंग रूम है। रेलवे के इतिहास में पहली बार यात्रियों को मुंबई सेंट्रल पहुंचने पर अब एक पूरी तरह से नई बोर्डिंग सुविधा का अनुभव होगा। आईआरसीटीसी ने ओपन टेंडर प्रक्रिया के जरिए नौ साल के लिए पॉड कॉन्सेप्ट रिटायरिंग रूम की स्थापना, चलाने और प्रबंधन का ठेका दिया है। इसे तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है।
इतना है किराया
पश्चिम रेलवे (WR) के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, इस पॉड होटल में ठहरने पर 12 घंटे के लिए 999 रुपये और 24 घंटे के लिए 1,999 रुपये का भुगतान करना होगा. इस होटल में वाईफाई, टीवी, एक छोटा लॉकर, आईना और रीडिंग लाइट जैसी मॉर्डन सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी.
रेलवे स्टेशन की पहली मंजिल पर बना पूरा पॉड होटल करीब तीन हजार स्क्वायर फीट में फैला है. इसमें कैप्सूल की तरह दिखने वाले 48 कमरे हैं जिन्हें क्लासिक पॉड, प्राइवेट पॉड (Private Pods) पॉड्स फॉर वूमेन और दिव्यांगों के लिए बांटा गया है. क्लासिक पॉड की संख्या 30 है जबकि लेडीज के लिए ऐसे 7 पॉड बनाए गए हैं. इसके अलावा 10 प्राइवेट पॉड और दिव्यांगों के लिए एक पॉड की सुविधा दी गई है.