इस बार ओलंपिक खेलों में अपना शानदार परचम लहराने वाली भारतीय हॉकी टीम (महिला और पुरुष) आगामी कॉमनवेल्थ गेम्स में खेलों में दिखाई नहीं देगी. भारत इन खेलों में हमेशा से भाग लेता रहा है. लेकिन इस बार ब्रिटेन की सरकार दुनिया भर में फैले कोरोना वायरस के चलते क्वॉरंटीन के अलग-अलग देशों पर अलग-अलग नियम थोप रही है. ऐसे में हॉकी इंडिया ने इन खेलों में अपनी दोनों टीमों (महिला और पुरुष टीम) को नहीं भेजने का ऐलान किया है. इस इन राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी ब्रिटेन के बर्मिंघम शहर को मिली है
खतरा नहीं उठाना चाहता है 'हॉकी इंडिया'
हॉकी इंडिया ने कहा है कि बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों (28 जुलाई से 8 अगस्त) और हांग्झू एशियाई खेलों (10 से 25 सितंबर) के बीच सिर्फ 32 दिन का अंतर है और वो अपने खिलाड़ियों को ब्रिटेन भेजकर जोखिम नहीं उठाना चाहता क्योंकि ब्रिटेन कोरोना वायरस महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में शामिल रहा है.
ब्रिटेन नहीं दे रहा भारत के वैक्सीन सर्टिफिकेट को मान्यता
ब्रिटेन ने हाल में भारत के Covid-19 वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट को मान्यता देने से इनकार कर दिया था और देश से आने वाले यात्रियों के पूरे वैक्सीनेट के बावजूद उनके लिए 10 दिन का कड़ा क्वारंटाइन अनिवार्य किया है।
IOA अध्यक्ष को भेजे गए पत्र में निंगोबम ने इस भेदभाव का प्रमुखता से जिक्र किया है, जिन्होंने रिजर्व टीमों के लिए खेल की वैश्विक संचालन संस्था के साथ समन्वय के निर्देश दिए हैं। बत्रा FIH के भी अध्यक्ष हैं।
निंगोबम ने लिखा, "इस तरह की भेदभावपूर्ण पाबंदियां भारतीय खिलाड़ियों और अधिकारियों पर हाल में हुए तोक्यो ओलंपिक खेलों के दौरान भी लागू नहीं थी और वैक्सीनेशन करवाने वाले खिलाड़ियों के लिए भी 10 दिन के क्वारंटीन से उनका प्रदर्शन प्रभावित होगा।" उन्होंने कहा, "हमें लगता है कि ये पाबंदियां भारत के खिलाफ भेदभावपूर्ण हैं और काफी दुर्भाग्यशाली हैं।"
इंग्लैंड के Covid-19 से जुड़ी चिंताओं और भारत सरकार के ब्रिटेन के सभी नागरिकों के लिए 10 दिन का पृथकवास अनिवार्य करने का हवाला देकर भुवनेश्वर में अगले महीने होने वाले FIH पुरुष जूनियर विश्व कप से हटने के एक दिन बाद हॉकी इंडिया ने ये कदम उठाया है। ब्रिटेन की पाबंदियों के बाद भारत ने भी देश में आने वाले ब्रिटेन के नागरिकों पर उसी तरह के प्रतिबंध लगा दिए थे।