कोरोना वायरस महामारी के कारण दुनियाभर में लाखों लोगों ने अपनी नौकरी गंवाई है. भारत भी इससे अछूता नहीं रहा है. कमजोर डिमांड के कारण देश में लाखों लोगों की नौकरियां गई हैं. ऐसे में भारत में बेरोजगारी दर पांच सप्ताह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है. ग्रामीण भारत में भी स्थिति खराब है. धान की रोपाई का सीजन खत्म होने के कारण यहां बेरोजगारी दर आठ सप्ताह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है. 09 अगस्त को खत्म हुए सप्ताह में भारत में ओवरऑल बेरोजगारी दर 8.67 फीसदी तक पहुंच गई. वहीं, ग्रामीण भारत में यह 8.37 फीसदी रही.
सीएमआईई के आंकड़ों के मुताबिक, 02 अगस्त को खत्म हुए सप्ताह में भारत में बेरोजगारी की दर 7.19 फीसदी थी. वहीं, एक महीने पहले 12 जुलाई को खत्म हुए सप्ताह में यह 7.43 फीसदी थी जो अब 8.67% पर पहुंच गया है. ग्रामीण भारत की बात करें तो पिछले सप्ताह के मुकाबले इस सप्ताह बेरोजगारी दर में दो फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. 02 अगस्त को खत्म हुए सप्ताह में यह 6.47% थी जो अब बढ़कर 8.37 फीसदी हो गई है.
CMIE के आंकड़ों के मुताबिक, देश के ग्रामीण क्षेत्रों के मुकाबले शहरी क्षेत्रों मंब बेरोजगारों की संख्या अधिक बढ़ी है. कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन में ढील के बाद शहरं में बेरोजगारी दर में कमी आई थी, लेकिन एक बार फिर यह ट्रेंड बदलने लगा है और शहरी बेरोजगारी दर में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इस सप्ताह शहरी बेरोजगारी दर 9.31% तक पहुंच गई है जो पिछले सप्ताह 8.73% थी. वहीं, जुलाई में यह 9.15 फीसदी थी.
विशेषज्ञों का कहना है कि एग्रीकल्चर सेक्टर में काम की कमी और धान की रोपाई का सीजन खत्म हो जाने के कारण प्रवासी मजदूर शहरों की तरफ लौटने लगे हैं. लेकिन मैन्युफैक्चरिंग और टेक्सटाइल सेक्टर की सुस्त चाल ने बेरोजगारी की समस्या को और बढ़ाया है. डिमांड कम होने के कारण उत्पादन में गिरावट आई है. कोराना वायरस के बढ़ते मामलों के कारण कई राज्यों ने मिनी लॉकडाउन लगाए हैं. इन वजहों से इस सप्ताह बेरोजगारी दर में बढ़ोतरी हुई है. विशेषज्ञों का कहना है कि बिजनेस पर कोरोना का बहुत ही व्यापक असर पड़ा है. इस वजह से फॉर्मल सेक्टर में बेरोजगारी की दर 10 से 12 फीसदी है.