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भारत आज 'चाइना' को दिखायेगा 'आइना',13वे दौर की वार्ता आज

भारत और चीन के बीच आज दोनों देशों के बीच चल रहे सैन्य गतिरोध को दूर करने के लिए 13 वें दौर की वार्ता होगी. दोनों देशों के बीच 12वें दौर की वार्ता 31 जुलाई को हुई थी.

Kartikey Hastinapuri
  • Oct 10 2021 7:53AM

पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच जारी गतिरोध को खत्म करने के लिए 13वें दौर की उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता रविवार को  होगी। इस दौरान पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले शेष स्थानों से सैनिकों की वापसी प्रक्रिया में कुछ आगे बढ़ने पर ध्यान दिया जाएगा।

यह वार्ता आज सुबह 10.30 बजे वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के चीनी पक्ष पर मोल्डो सीमा बिंदु पर होगी।  इस वार्ता से उम्मीद जताई जा रही है कि भारतीय पक्ष टकराव वाले शेष स्थानों से सैनिकों की जल्द-से-जल्द वापसी की मांग करेगा।

दोनों देशों के बीच 12वें दौर की वार्ता 31 जुलाई को हुई

भारतीय पक्ष से उम्मीद की जाती है कि वह देप्सांग बुलगे और डेमचोक में मुद्दों के समाधान के लिए दबाव डालने के अलावा टकराव वाले शेष बिंदुओं से जल्द से जल्द सैनिकों की वापसी की मांग करेगा. दोनों देशों के बीच 12वें दौर की वार्ता 31 जुलाई को हुई थी. वार्ता के कुछ दिनों बाद दोनों सेनाओं ने गोगरा में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी की, जिसे इस क्षेत्र में शांति की बहाली की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा गया.

प्रोटोकॉल का पालन करेगा चीन : बागची 

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने अपने साप्ताहिक ब्रीफिग में कहा, 'यह हमारी उम्मीद है कि चीन जल्द से जल्द समस्या सुलझाने पर काम करेगा।' उन्होंने उम्मीद जताई  कि चीन से पूर्वी लद्दाख में द्विपक्षीय संबंधों और प्रोटोकाल का भी ध्यान  रखेगा। हालांकि शनिवार को पूर्वी लद्दाख में समग्र स्थिति पर टिप्पणी के लिए कहे जाने पर जनरल नरवणे ने विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता की हालिया टिप्पणी का हवाला दिया।

उन्होंने कहा कि उन्होंने स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि उत्तरी सीमा पर जो कुछ भी हुआ है, वह चीन की ओर से व्यापक पैमाने पर सैन्य जमावड़े और विभिन्न प्रोटोकाल का पालन न करने के कारण है

आईएसआर में और काम करने की जरुरत : सेना प्रमुख 

सेना प्रमुख ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के बाद भारतीय सेना ने महसूस किया कि उसे आइएसआर (खुफिया, निगरानी और टोही) के क्षेत्र में और अधिक काम करने की जरूरत है। पिछले एक साल में हमारे आधुनिकीकरण की यही सबसे बड़ी ताकत रही है। अन्य हथियार और उपकरण जो हमने सोचा था कि हमें भविष्य के लिए चाहिए, उन पर भी हमारा ध्यान गया है।

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