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दिल्ली दंगे की चार्जशीट में सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर का भी नाम, भड़काऊ भाषण का आरोप

हर्ष मंदर पर नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों को उकसाने और न्यायपालिका के बारे में अवमानना भरी बातें कहने का आरोप है. हर्ष मंदर पर आरोप है कि उस दौरान आंदोलन के दौरान उन्होंने भड़काऊ भाषण दिए थे और दिल्ली हिंसा की साजिश रची थी.

Abhishek Lohia
  • Jun 20 2020 5:38PM
देश की राजधानी दिल्ली में हुई हिंसा की चार्जशीट में पूर्व आईएएस और सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर का नाम भी जोड़ा गया है. हर्ष मंदर पर नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों को उकसाने और न्यायपालिका के बारे में अवमानना भरी बातें कहने का आरोप है. हर्ष मंदर पर आरोप है कि उस दौरान आंदोलन के दौरान उन्होंने भड़काऊ भाषण दिए थे और दिल्ली हिंसा की साजिश रची थी.

हर्ष मंदर पर क्या आरोप लगे हैं?

हर्ष मंदर पर आरोप है कि उन्होंने पिछले साल 16 दिसंबर को जामिया मिल्लिया इसलामिया के छात्रों के सामने भड़काऊ भाषण दिया था. इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में दिल्ली पुलिस की तरफ से सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया था कि मंदर ने लोगों से कहा कि संसद और सुप्रीम कोर्ट से उम्मीद करना बेकार है. उन्हें इंसाफ पाने के लिए सड़क पर उतरना होगा. इसके बाद चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने हर्ष मंदर से जवाब दाखिल करने को कहा था.

वहीं, हर्ष मंदर के वकील दुष्यंत दवे ने दावा किया था कि जिस भाषण के आधार पर यह कार्यवाही शुरू की गई है, उसे कोर्ट के सामने गलत तरीके से पेश किया गया है. उस भाषण में न्यायपालिका के लिए कोई अवमानना भरी बात नहीं कही गई थी. दवे ने कहा था, “मंदर ने सत्ताधारी पार्टी के नेताओं के खिलाफ शिकायत की, इसलिए सरकार उन्हें ही निशाने पर ले रही है.''

16 दिसंबर की शाम जामिया के बाहर जमा भीड़ के सामने मंदर ने क्या कहा था? "ये जंग, जो इसने शुरू की है, ये जंग हमारे देश के लिए, हमारे संविधान के लिए और प्यार के लिए है. सरकार ने भारत के लोगों के खिलाफ जंग शुरू कर दी है और यह सबसे बड़ी विडंबना है कि सत्तारूढ़ दल उन लोगों से प्रेरित है, जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में कोई भूमिका नहीं निभाई. सरकार अब उन लोगों से बदला ले रही है, जो संविधान में निहित मूल्यों के लिए खड़े हैं और एंटी नेशनल होने का तमगा झेल रहे हैं. यह लड़ाई संसद में नहीं जीती जाएगी. और न ही इसे सुप्रीम कोर्ट में जीता जाएगा. यह मामला न ही संसद और न ही सुप्रीम कोर्ट में हल किया जाएगा, बल्कि ये गलियों में होगा."

हर्ष मंदर आईएएस ऑफिसर थे, लेकिन साल 2002 गुजरात दंगों से आहत होकर उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी और बाद में वह सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर काम करने लगे. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान वे राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के सदस्य रह चुके हैं, जिसकी अध्यक्षा सोनिया गांधी थीं.

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