देश में पिछले एक साल से अपनी मांगो की जिद पर डटे किसानो के आंदोलन को आखिर विराम चिन्ह लग ही गया। दिल्ली की सीमाओं को बंद करे बैठे किसानो के हठ को जब सरकार ने माना, तो इसे अपनी जीत समझ कर किसानो ने आंदोलन वापसी का एलान किया।
बीते गुरुवार को मीडिया से रूबरू होते हुए तमाम किसान नेताओ ने इस बात की घोषणा की, और साथ ही साथ विजय दिवस के रूप में मनाने की बात कही। अब तक विरोध प्रदर्शनों की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने कहा कि किसान शनिवार को देश भर के सभी बॉर्डर, टोल प्लाजा और विरोध स्थलों पर विजय मार्च निकालेंगे जिसके बाद वे अंत में उनके साल भर के विरोध प्रदर्शन के समापन के अवसर पर वापस घर लौट जाएंगे.
रिपोर्टों के अनुसार, किसानों ने 10 दिसंबर को विजय दिवस मनाने का फैसला किया था, लेकिन भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत के सम्मान में इसे एक दिन बाद के लिए स्थगित कर दिया गया.
सीडीएस बिपिन रावत का एक हवाई दुर्घटना में मौत हो गई थी जिनका शुक्रवार को उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया. इस बीच, राष्ट्रीय राजधानी के सिंघू और गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों के जाने की गतिविधि शुरू हो गई है.
9 जनवरी से शुरू हुआ सिलसिला
बॉर्डर सेे किसानों की वापसी का सिलसिला बृहस्पतिवार शाम को ही शुरू हो गया था। जिनके पास कम सामान था वे मोर्चा की घोषणा के बाद ही दिल्ली की सीमा छोड़कर चले गए थे। बहुत से किसान ऐसे हैं जिन्होंने ठहरने के लिए बड़े बड़े मंच तैयार किए थे। उन्हें हटाने और सब सामान समेटने में पूरा दिन लग गया।
ये किसान शनिवार को रवाना होंगे। शुक्रवार को भी सिंघू बॉर्डर पर बहुत सारे किसान संगठन ट्रैक्टरों में सामान लादकर रवाना हो गए। बड़ी संख्या में ट्रैक्टरों की आवाजाही से ट्रैफिक जाम भी हुआ।
15 दिसंबर को दिल्ली में संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक
किसान एक साथ सुबह 10:30 बजे से जाना शुरू करेंगे। 13 दिसंबर को किसान अमृतसर के स्वर्ण मंदिर जाएंगे। वहीं 15 दिसंबर को दिल्ली में संयुक्त किसान मोर्चा की अगली बैठक होगी। किसानों ने स्पष्ट किया है कि इसे आंदोलन का स्थगन इसलिए कर रहे हैं क्योंकि जो प्रस्ताव अभी पूरी तरह से माने नहीं गए हैं उनकी किसान संयुक्त मोर्चा हर महीने समीक्षा करेगा। अगर लंबे समय तक किसानों की मांगे लटकी रहीं तो आंदोलन फिर शुरू होगा।