26 जनवरी 2021, ये वो तारिख है जब भारत के गणतंत्र दिवस के दिन राजधानी दिल्ली में जो हुआ उसे पूरे देश के साथ विदेशो में भी देखा गया। किसान आंदोलन के नाम से शुरू हुई ये 'हक़ की लड़ाई' कब ' बदले की आग' बन गई बन गई पता ही नहीं चला। देश की राजधानी की वो सड़के, वो धरोहरे जिन्होंने देश के स्वर्णिम इतिहास में अपना नाम लिखाया था, इस दिन 'काले इतिहास' में भी सम्मिलित हो गई थी। सुनियोजित तरीके से शुरू हुए इस 'ट्रेक्टर मार्च' ने जो आतंक फैलाया था वो शायद ही कोई व्यक्ति भूल सकता होगा।
यहाँ हम 'ट्रेक्टर मार्च' की बात इसलिए कर रहे है क्योंकि पीएम मोदी के तीनो कृषि कानून वापस लेने के बाद भी किसानो ने 29 नवंबर से संसद तक 'ट्रेक्टर मार्च' करने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि- किसान आंदोलन के एक साल पूरा होने के मौके पर ये ट्रेक्टर रैली निकाल जाएंगी, और शीतकालीन सत्र जब तक चलता रहेगा तबतक हर दिन 500 ट्रेक्टर संसद तक पहुंचेगे। साथ ही उन्होंने ये भी घोषणा की कि 22 नवंबर को लखनऊ में प्रस्तावित महापंचायत होंगी।
रविवार को संयुक्त किसान मोर्चा(SKM) की बैठक में होगा फैसला
किसान नेता और एसकेएम की कोर कमेटी के सदस्य दर्शन पाल ने कहा, ‘संसद तक ट्रैक्टर मार्च का हमारा आह्वान अभी तक कायम है. आंदोलन की भावी रूपरेखा और एमएसपी के मुद्दों पर अंतिम फैसला रविवार को सिंघू बॉर्डर पर एसकेएम की बैठक में लिया जाएगा.’
किसान नेता तथा भारतीय किसान यूनियन (उगराहां) के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उगराहां ने टिकरी बॉर्डर पर कहा कि ट्रैक्टर मार्च का फैसला अभी तक वापस नहीं लिया गया है. उन्होंने कहा, ‘एसकेएम संसद तक ट्रैक्टर ट्रॉली मार्च पर फैसला लेगा. अभी तक इसे वापस लेने का कोई निर्णय नहीं हुआ है. एसकेएम की कोर समिति की बैठक के बाद रविवार को फैसला हो सकता है.’
सरकारी कमिटी पर क्यों नहीं मान रहे किसान?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा के बावजूद किसान यूनियनों के विरोध-प्रदर्शन पहले की तरह जारी रहेंगे। 29 नवंबर से संसद तक रोज ट्रैक्टर मार्च निकालने की योजना भी है। इस दिशा में आखिरी फैसला रविवार को होने वाली सभी यूनियनों की बैठक में लिया जाएगा।
अब इन मुद्दों पर भी किसानो का हठ
पीएम नरेंद्र मोदी ने तीनो कानूनो को वापस लेने की बात कही है, और साथ ही ये आग्रह भी किया था कि किसान अब अपने घर लौट जाए लेकिन किसानो ने साफ़ तौर पर घर जानेसे मना कर दिया और अपनी नई मांगो की लिस्ट निकाल दी।
-जैसे कानून वापस लिए, वैसे ही मुकद्दमे भी वापस लो
-मुआवजा और किसानों की याद में स्मारक बने
-किसानों पर दर्ज झूठे मामले बगैर शर्त हो वापस
-लखीमपुर खीरी हत्याकांड के आरोपियों पर हो कार्रवाई