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पढ़िए, देश के अलग-अलग हिस्सों में कैसे मनाया जाता है होली- रंगों का त्यौहार

कोई फूलों से होली खेलता है, तो कोई ढोल नगाड़ों की धुन पर नाच गाकर रंगों के त्यौहार में खो जाता है। कोई भांग की मस्ती में झूमकर, तो कोई रंग बिरंगे लाल-गुलाबी रंगों से इस पावन त्यौहार को मनाता है। सभी के तौर तरीके भले ही अलग हो, लेकिन मकसद सिर्फ एक ही होता है, कि कैसे होली के बहाने अपनों को और करीब लाया जाए और सबके जीवन को खुशियों से हरा भरा बनाया जाए

Sudarshan News
  • Mar 28 2021 10:14AM

होली आई खुशियां लाई...जी हां, होली जब भी आती है, पूरे देश में अलग सी खुमारी छा जाती है। हर कोई अलग अलग अंदाज में होली की मस्ती में सराबोर नजर आता है। कोई फूलों से होली खेलता है, तो कोई ढोल नगाड़ों की धुन पर नाच गाकर रंगों के त्यौहार में खो जाता है। कोई भांग की मस्ती में झूमकर, तो कोई रंग बिरंगे लाल-गुलाबी रंगों से इस पावन त्यौहार को मनाता है। सभी के तौर तरीके भले ही अलग हो, लेकिन मकसद सिर्फ एक ही होता है, कि कैसे होली के बहाने अपनों को और करीब लाया जाए और सबके जीवन को खुशियों से हरा भरा बनाया जाए... तो चलिए जानते हैं देश के अलग-अलग हिस्सों में कैसे मनाया जाता रंगों का ये त्यौहार
 
मथुरा की होली

होली का जिक्र किया जाए और बरसाने की लट्ठमार होली का जिक्र न हो, ऐसा तो हो ही नहीं सकता है। राधा रानी की नगरी बरसाने में लट्ठमार होली विश्व प्रसिद्ध है, जिसके लिए लोग विदेशों से भी बरसाने पहुंचते हैं। होली से एक हफ्ते पहले यहां त्यौहार की मस्ती शुरू हो जाती है। कहा जाता है, कृष्ण अपने सखाओं के साथ राधा और उनकी सखियों से होली खेलने पहुंच जाते थे। राधा और उनकी सखियां ग्वाल वालों पर डंडे बरसाया करती थीं। मार से बचने के लिए ग्वाल भी लाठी या ढालों का प्रयोग करते थे, जो बाद में होली की परंपरा बन गई। बरसाने के साथ-साथ मथुरा और वृंदावन में भी सांस्कृतिक तौर तरीके से होली मनाई जाती है। कहा जाता है कि यहां 40 दिन पहले से ही होली की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। मथुरा में होली द्वार से लेकर द्वारकाधीश मंदिर तक होली की धूम रहती है।
 
शांति निकेतन की सांस्कृतिक होली

पश्चिम बंगाल के शांति निकेतन में तो होली का त्यौहार बसंत उत्सव के रूप में मनाया जाता है जिसकी शुरुआत गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने की थी। बताया जाता है कि इस उत्सव में युवा पारंपरिक परिधानों में सज-संवर कर रविन्द्र संगीत गाकर वसंत का स्वागत करते हैं और रंगों के साथ-साथ फूलों से होली खेलते हैं।
 
पुरुलिया की होली

पश्चिम बंगाल के ही पुरुलिया में भी होली को वसंत उत्सव के तौर पर तीन दिनों तक मनाया जाता है, जिसमें स्थानीय लोग फोक म्यूजिक और डांस के साथ होली का उत्सव मानते हैं।
 
होला मोहल्ला की होली

पंजाब के आनंदपुर साहिब की होला मोहल्ला की होली काफी लोकप्रिय है। इसकी शुरुआत सिखों के दसवें गुरु गोविन्द सिंह जी ने की थी। इस मौके पर यहां मार्शल आर्ट, मोक स्वार्ड फाइट, एक्रोबेटिक मिलिट्री एक्सरसाइज एंड टर्बन ट्राइंग का प्रदर्शन किया जाता है।
 
राजस्थान की रॉयल होली

होला मोहल्ला से निकलकर अब हम राजस्थान की रॉयल होली की तरफ रुख करते हैं। जहां होली की पूर्व संध्या पर उदयपुर में राजघराने की ओर से जलसे का आयोजन किया जाता है। राजमहल से मानेक चौक तक उत्सव-यात्रा निकाली जाती है और पारम्परिक तरीके से होलिका दहन किया जाता है।
 
जयपुर में हाथियों संग होली
 
वैसे राजस्थान की पिंक सिटी, जयपुर शहर में भी होली का अलग रंग देखने को मिलता है, यहां हाथियों संग होली खेली जाती है। होली के मौके पर यहां रामबाघ पोलो ग्राउंड में हाथियों की ब्यूटी और रस्साकशी जैसी प्रतियोगिता की जाती है। साथ ही उनसे डांस भी कराया जाता, जिसे देखने के लिए विदेशों से भी पर्यटक जयपुर आते हैं।
 
दिल्ली की बिंदास होली
 
राजस्थान में जहां रॉयल होली के रंग दिखते हैं तो वहीं राजधानी दिल्ली में बिंदास तरीके से रंगों के त्यौहार को मनाया जाता है। यहां रंगों के साथ-साथ भांग भी होली की मस्ती को दोगुना कर देती है। जगह-जगह लोग डांस और पार्टी का आयोजन करते हैं।
 
हम्पी में विदेशियों संग होली

अगर बात दक्षिण भारत के राज्य कर्नाटक की करें तो, वहां वैसे तो होली का उत्सव मनाया नहीं जाता, लेकिन हम्पी की बात ही कुछ और है, जहां पूरा शहर ही होली के दिन उत्सव में शामिल हो जाता है ये उत्सव विजयनगर राज्य के पुराने साम्राज्य की झलक दिखाता है जिसमें पूरा शहर ढोल-नगाड़ों के साथ जश्न में शामिल होता है और रंगों का त्योहार मनाता है। हम्पी को यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित कर रखा है। हर साल हंपी में लाखों की संख्या में देसी और विदेशी सैलानी आते हैं।

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