दीपावली पर अयोध्या(Ayodhya) में 'राम की पैड़ी' पर जगमग हुआ नज़ारा न सिर्फ भारत ने बल्कि पूरे विश्व ने देखा। दीपो का ऐसा अलौकिक नज़ारा पहले शायद ही कही किसी ने देखा होगा, लेकिन अब नए भारत में ऐसी तस्वीरें मानो सामान्य होती जा रही है क्योंकि सूबे की योगी सरकार, भारतीय परंपरा और हिंदुस्थानी संस्कृति के लिए एक के बाद एक अचे कदम उठा रही है।
अयोध्या के जैसा नज़ारा अब काशी में भी देखने को मिलने वाला है, क्योंकि देव दीपावली यानी कल काशी(Varanasi) के 84 घाटों को 15 लाख से अधिक दीपको से जगमग करने की योजंना है। इसके लिए पर्यटन विभाग ने तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। देव दीपावली पर पिछले साल भी काशी के घाटों को 15 लाख दीयों की रोशनी से रोशन किया गया था, जबकि इस बार देव दीपावली को भव्य बनाने के लिए 15 लाख से अधिक दीयों को जलाया जाएगा।
इनका भी उठा सकेंगे लुत्फ़
हॉट एयर बैलून(Hot Air Baloon) के अलावा लेजर शो और इलेक्ट्रिक आतिशबाजी भी आकर्षण के केंद्र में रहेगी. वहीं दशाश्वमेध घाट की गंगा आरती भी इस बार भव्य तरीके से होगी तो वहीं राजघाट पर गंगा महोत्सव आयोजित हो रहा है. बता दें कि धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, वो दिन जब खुद देवता शिवनगरी काशी आकर दीपावली मनाते हैं, उसे देव दीपावली कहा जाता है।
जानिए क्या है मान्यता ?
माना जाता है कि देव दीपावली के दिन सभी देवता बनारस के घाटों पर आते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध किया था। त्रिपुरासुर के वध के बाद सभी देवी-देवताओं ने मिलकर खुशी मनाई थी। काशी में कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस दिन दीपदान करने का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि भगवान शंकर ने खुद देवताओं के साथ गंगा के घाट पर दिवाली मनाई थी, इसीलिए देव दीपावली का धार्मिक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी बढ़ जाता है।