दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने दिल्ली हिंसा मामले में उमर खालिद को 14 सितंबर को यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया था। कानून के अनुसार, यूएपीए के तहत किसी भी आरोपी पर मुकदमा चलाने से गृह मंत्रालय से मंजूरी लेनी आवश्यक है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कई महीनों के विचार-विमर्श के बाद दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने पुलिस को केस चलाने की स्वीकृति दे दी।
दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने पिछले महीने तिहाड़ जेल में बंद उमर खालिद की न्यायिक हिरासत अवधि 20 नवंबर तक के लिए बढ़ा दी थी। इसके साथ ही अदालत ने जेल प्रशासन को जेल के अंदर खालिद की सुरक्षा का ध्यान रखने को कहा था। साथ ही अदालत ने आरोपी खालिद को भी कहा कि वह अपनी सुरक्षा को लेकर जेल प्रशासन द्वारा उठाए जाने वाले कदमों पर सहयोग करे।
स्पेशल सेल ने उमर खालिद को दिल्ली दंगा मामले में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया है। वहीं, दिल्ली पुलिस की स्पेश्ल सेल द्वारा अदालत को बताया गया था कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़के साम्प्रदायिक दंगे सोची-समझी साजिश के तहत हुए थे। सेल का कहना था कि अपराध शाखा ने इस साजिश की जानकारी 6 मार्च 2020 को सेल को दी थी। इसके बाद सेल ने दंगों की साजिश की अलग से जांच शुरू की। जांच में पाया गया कि खालिद के अलावा इस साजिश में बहुत सारे अलग-अलग समूह भी शामिल थे। इस मामले में सेल पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन, उमर खालिद, शरजील इमाम आदि लोगोंं को अब तक गिरफ्तार कर चुकी है।