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दिल्ली दंगे में चार इस्लामिक युवक ने की थी दीपक की हत्या .... चश्मदीद ने उठाया सत्य से पर्दा, अदालत ने भी बताया सुनियोजित तथा तय किए आरोप

बता दें सेशन जज ने अपने आदेश में कहा कि आरोपियों की लामबंदी और इरादे के तरीके से लगता है कि गैरकानूनी जमावड़ा दंगों और दीपक की हत्या जैसे अन्य अपराधों को अंजाम देने के मकसद से किया गया था। उन्होंने 9 नवंबर के एक आदेश में कहा कि गैरकानूनी तरीके से जमा होने से पीड़ित पर सुनियोजित हमले की साजिश भी व्यापक रूप से जाहिर होती है।

Prem Kashyap Mishra
  • Nov 13 2021 4:56PM

दिल्ली दंगे को एकाएक नहीं सुनियोजित तरीके से भड़काया गया था। अदालत ने पिछले वर्ष हुए दिल्ली दंगे में एक हिन्दू युवक की हत्या में चार इस्लामिक युवक के खिलाफ हत्या, दंगा और आपराधिक साजिश के आरोप तय किए हैं। अनवर हुसैन, कासिम, शाहरुख और खालिद अंसारी पर 25 फरवरी 2020 को आंबेडकर कॉलेज के पास दीपक नाम के  व्यक्ति  पर बेरहमी से पिटाई कर हत्या करने का आरोप है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक हमले में बहुत ज्यादा खून बह जाने की वजह से उसकी मौत हुई। 

बता दें सेशन जज ने अपने आदेश में कहा कि आरोपियों की लामबंदी और इरादे के तरीके से लगता है कि गैरकानूनी जमावड़ा दंगों और दीपक की हत्या जैसे अन्य अपराधों को अंजाम देने के मकसद से किया गया था। उन्होंने 9 नवंबर के एक आदेश में कहा कि गैरकानूनी तरीके से जमा होने से पीड़ित पर सुनियोजित हमले की साजिश भी व्यापक रूप से जाहिर होती है। जज ने कहा कि इस मामले में सबसे जरूरी गवाह सुनील कुमार थे, जो पूरी घटना के चश्मदीद गवाह थे और उन्होंने एक पूरी तस्वीर रखी कि कैसे दीपक को आरोपियों समेत हथियारबंद दंगाइयों की भीड़ ने मार दिया था।

सुनील ने कहा था, 25 फरवरी को, कर्दमपुरी पुलिया से गैरकानूनी रूप से मुसलमानों की एक भीड़ आ रही थी और अल्लाह हो अकबर का नारा लगाते हुए पुलिया गोकुलपुर को पार करने की कोशिश कर रही थी। उस हथियारबंद गैरकानूनी भीड़ ने दीपक को पकड़ लिया जिसे बेरहमी से पीटा गया था। सुनीन ने बताया कि वह नाले के पीछे एक दीवार की आड़ में छिप गए थे, जहां से उन्होंने इस पूरी घटना को देखा। 

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ तहत आरोप तय कर सभी को उनके वकीलों की उपस्थिति में बताया। आरोपियों ने खुद को दोषी नहीं मानते हुए मामले में मुकदमा लड़ने की बात कही। कोर्ट ने इससे पहले 9 नवंबर को एक आदेश में कहा था कि सुनियोजित हमले की साजिश इस मामले में साफ दिख रही है। अदालत ने कहा कि इस मामले में सबसे महत्वपूर्ण गवाह सुनील कुमार था। वह घटना का चश्मदीद गवाह था। उसने सिलसिलेवार स्पष्ट किया था कि कैसे दीपक को आरोपी व्यक्तियों समेत हथियारबंद मुसलमानों की भीड़ ने मार दिया था।

अदालत ने कहा कि गवाह की बात से साफ है कि एक गैरकानूनी भीड़ ने दंगे किए और दीपक को घातक हथियार से मारा। हमले में उसकी मृत्यु हो गई। अदालत ने कहा कि यह मानने के आधार हैं कि चारों आरोपियों ने आईपीसी की धारा 147 (दंगा), 148 (दंगा, घातक हथियार), 302 (हत्या) के साथ ही धारा 149 (गैरकानूनी जमावड़ा) के तहत अपराध किया। आरोपियों के खिलाफ 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत भी आरोप तय किए गए हैं।

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