सुदर्शन के राष्ट्रवादी पत्रकारिता को सहयोग करे

Donation

हाईकोर्ट में बुझ गई चिराग की उम्मीदें ? LJP पर पशुपति पारस का कब्जा?

दिल्ली हाई कोर्ट ने चिराग पासवान की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने अपने चाचा पशुपति कुमार पारस को लोकसभा में पार्टी का नेता मानने के लोकसभा अध्यक्ष के फैसले को चुनौती दी थी.

Abhay Pratap
  • Jul 9 2021 6:52PM

LJP में अलग थलग पड़े चिराग पासवान को दिल्ली हाईकोर्ट से करारा झटका लगा है. दिल्ली हाई कोर्ट ने चिराग पासवान की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने अपने चाचा पशुपति कुमार पारस को लोकसभा में पार्टी का नेता मानने के लोकसभा अध्यक्ष के फैसले को चुनौती दी थी. कोर्ट ने कहा कि मामला लोकसभा अध्यक्ष के पास लंबित है, लिहाजा मामले में आदेश देने का कोई औचित्य नहीं है. कोर्ट ने यह भी कहा कि चिराग पासवान की याचिका का कोई आधार नहीं है.

दिल्ली हाईकोर्ट के इस निर्णय के बाद क्या चिराग पासवान की उम्मीदों का चिराग बुझ गया है? क्या अब LJP पूरी तरह से चिराग के हाथों से निकलकर उनके चाचा पशुपति पारस की हो चुकी है? ये वो सवाल है जो सियासी गलियारों में तैर रहे हैं. बता दें कि 7 जुलाई को दाखिल याचिका में चिराग पासवान ने पार्टी के संविधान का हवाला देते हुए बागी सांसदों पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया. साथ ही दावा किया कि पार्टी विरोधी गतिविधियों और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को धोखा देने के कारण लोक जनशक्ति पार्टी से पशुपति कुमार पारस को पहले ही पार्टी से बाहर कर दिया था.

चिराग पासवान ने अपनी याचिका में कहा कि लोक जनशक्ति पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में कुल 75 सदस्य हैं, जिसमें से 66 सदस्य चिराग पासवान के साथ हैं, ऐसे में उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के दावे सही नहीं है. याचिका में पशुपति पारस समेत पार्टी के 5 सांसद, संसद सचिवालय, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, चुनाव आयोग और भारत सरकार को पार्टी बनाया गया था.

चिराग पासवान की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस रेखा पल्ली ने चिराग पासवन के वकील अरविंद वाजपेयी को कहा कि आपको पार्टी का मामला पार्टी में सुलझाना चाहिए. कोर्ट ने वकील से पूछा कि आपकी पार्टी में कितने सांसद हैं? इस पर वाजपेयी ने कहा कि पार्टी से कुल 6 सांसद जीते थे जिनमें से 5 सांसद छोड़कर जा चुके हैं. मैं स्पीकर के आदेश तक ही सीमित हूं. मैंने 2019 में भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त को यह दावा करते हुए लिखा है कि चिराग पासवान को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है.

उन्होंने चिराग पासवान की तरफ से आगे कहा कि मैं लोकसभा में पार्टी का नेता था. जब मुझे पता चला तो मैंने लोकसभा में पार्टी के नेता के रूप में पशुपति कुमार पारस की मान्यता के खिलाफ स्पीकर को भी एक अभ्यावेदन दिया. नेता को बिना किसी नोटिस के बदल दिया गया है. और हाल ही में उन्हें मंत्री के रूप में चुना गया है. मैंने उक्त आदेश को रद्द करने की प्रार्थना की. कोर्ट में केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष को पार्टी बनाने की जरूरत नही है. उन्होंने कहा कि इस मामले में नोटिस जारी नहीं किया जाना चाहिए. चिराग पासवान पार्टी की और से याचिका कैसे दाखिल कर सकते हैं? अन्य उपाय भी हो सकते हैं. मैं यहां सलाह देने के लिए नहीं हूं. याचिका संवैधानिक मुद्दों से अनभिज्ञ है.

दिल्ली हाईकोर्ट में स्पीकर के वकील ने बताया कि उन्होंने इस मामले में लोकसभा अध्यक्ष से बात की है. उनकी तरफ से जानकारी दी गई है कि इस मामले को वो देख रहे हैं. वकील ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला भी दिया. फिर कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले में अभी कोई आदेश नहीं दे सकते क्योंकि स्पीकर इस मामले को देख रहे हैं। स्पीकर के वकील ने कहा कि इस याचिका पर सुनवाई का कोई आधार नहीं है, जब लोकसभा स्पीकर खुद इस मामले को देख रहे हैं.

पशुपति पारस की ओर से पेश वकील ने कहा कि जो लेटर पारस ने स्पीकर को दिया था, उस समय पारस पार्टी के चीफ व्हिप थे और बाद में पार्टी के लीडर चुने गए. तब कोर्ट ने कहा कि आपको चुनाव आयोग जाना चाहिए. यहां नहीं आना चाहिए था. कोर्ट ने कहा कि ये याचिका यहां पर मेंटिनेबल नहीं है.

सहयोग करें

हम देशहित के मुद्दों को आप लोगों के सामने मजबूती से रखते हैं। जिसके कारण विरोधी और देश द्रोही ताकत हमें और हमारे संस्थान को आर्थिक हानी पहुँचाने में लगे रहते हैं। देश विरोधी ताकतों से लड़ने के लिए हमारे हाथ को मजबूत करें। ज्यादा से ज्यादा आर्थिक सहयोग करें।
Pay

ताज़ा खबरों की अपडेट अपने मोबाइल पर पाने के लिए डाउनलोड करे सुदर्शन न्यूज़ का मोबाइल एप्प

Comments

ताजा समाचार