पिछले कई सालो से लगभग नवंबर से फरवरी के बीच प्रदूषण की मार झेलने वाली दिल्ली की साँसे इस बार भी मुश्किल में है। न सिर्फ दिल्ली बल्कि पूरा NCR भी प्रदूषण की जहरीली चादर में लिप्त हुआ है। दिल्ली सरकार(Delhi Government) से लेकर केंद्र सरकार हर संभव प्रयास कर रही है कि किसी भी तरह से प्रदूषण को कम किया जाए और लोगो के स्वास्थ्य का ख्याल रखा जाए। इस कड़ी में कई दफ्तरों में 'वर्क फ्रॉम होम'(Work From Home)दिया गया और दिल्ली एनसीआर(Delhi NCR) के सभी विद्यालयों को भी अगले आदेश तक बंद कर दिया गया।
दरअसल, आज राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (Delhi) और उसके आसपास के शहरों यानी NCR की आबो-हवा (Pollution) ‘बहुत खराब’ की श्रेणी में ही बनी हुई है. सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फॉरकास्टिंग एंड रिसर्च (SAFAR) ने गुरुवार सुबह 6.33 बजे का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 362 दर्ज किया, जो बुधवार को 379 था।
AQI 400 के ऊपर मतलब रोज 20 से 25 सिगरेट पीने के बराबर
डॉक्टर दविंद्र ने कहा कि इंटरनेशनल स्टडीज हो चुकी है कि जब एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (AQI) 400 से ऊपर जाता है, तो वहां रहने वाला इंसान रोजाना 20 से 25 सिगरेट पीने जितना धुआं सांस के जरिए लेता है। यानी इस हवा में सांस लेने वाला हर इंसान सेकेंड हैंड स्मोकर बन जाता है।
ऐसे में जो लोग पहले से स्मोकिंग करते हैं, उनके लिए यह दिन दोगुना खतरनाक हो जाता है। अगर कोई एक पैकेट सिगरेट रोज पीता है, तो वह इन दिनों दो पैकेट अतिरिक्त सिगरेट पी जा रहा है। ऐसे लोगों में प्रदूषण का असर बहुत ही ज्यादा खतरनाक हो जाता है।
लंग्स की गंभीर बीमारी और लंग्स कैंसर का बढ़ा खतरा
डॉक्टर ने कहा कि यही वजह है कि अब नॉन स्मोकर लोगों में भी लंग्स की सीवियर बीमारी और लंग्स कैंसर हो रहा है। यही नहीं, प्रदूषण की वजह से इन्फेक्शन के मामले में भी इजाफा हुआ है। जो पहले से स्मोकर हैं, उनमें टीबी का खतरा बढ़ गया है। कुछ दिनों से दिल्ली में टीबी के मरीजों की भी संख्या बढ़ी है।
इसके अलावा नॉन स्मोकर में भी टीबी का खतरा बढ़ गया है। डॉक्टर ने कहा कि प्रदूषण की वजह से लंग्स की इम्यूनिटी कम हो जाती है, इससे मरीज को निमोनिया का खतरा होता है। इससे स्मोकर और नॉन स्मोकर दोनों में वायरल और फंगल इन्फेक्शन हो सकता है। यही नहीं, प्रदूषण की वजह से बॉडी की इम्यूनिटी कम हो जाती है। मरीज को रेस्पिरेटरी एलर्जी, दमे की समस्या, सांस की नली में जकड़न, सांस फूलने जैसी दिक्कत होने लगती है।