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हैदराबाद के NIMS अस्पताल में होगा Covaxin का Human Trial

कोवाक्सिन को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे ने मिलकर बनाया है. इसके प्री-क्लीनिकल ट्रायल कामयाब रहे हैं.

Abhishek Lohia
  • Jul 4 2020 10:53PM
भारत की कोविड-19 की पहली संभावित वैक्सीन ‘कोवाक्सिन’ (Covaxin) को दवा नियामक डीजीसीआई से पहले और दूसरे चरण के लिए मानव परीक्षण की अनुमति मिल गई है. अब इसका ट्रायल हैदराबाद के निम्स (NIMS) अस्पताल समेत देशभर के 6 सेंटर में होगा. इस वैक्सीन को हैदराबाद की फार्मा कंपनी भारत बायोटेक ने तैयार किया है.

कोवाक्सिन को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे ने मिलकर बनाया है. इसके प्री-क्लीनिकल ट्रायल कामयाब रहे हैं. अब इस दवा का इंसानों पर ट्रायल जुलाई महीने की 7 तारीख से शुरू किया जाएगा. इस अहम ट्रायल के लिए हैदराबाद के निम्स (निज़ामस इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसस) अस्पताल को चुना गया है.

इस बारे निम्स के डायरेक्टर डॉ. मनोहर ने कहा कि कोरोना से बचाव के लिए बने इस टीके को फेस-1 ट्रायल के तौर पर प्रयोग किया जाएगा. आईसीएमआर की तरफ से निम्स को चुने जाने पर हमें बहुत खुशी हो रही है. देश भर के 6 संस्थाओं में निम्स इंस्टिट्यूट को चुना गया, इसके लिए अलग बजट बनाया गया, हमारे लिए बजट भी रिलीज किया गया.

निम्स डायरेक्टर ने कहा कि जुलाई 7 तारीख से स्वस्थ्य सब्जेक्ट (लोगों) की स्क्रीनिंग की जाएगी. उनके ब्लड सैम्पल्स और स्वाब सैम्पल्स लिए जाएंगे और उसी दिन नई दिल्ली स्थित आईसीएमआर से मनोनीत लैब को भेजा जाएगा, वहां से रिपोर्ट आने के बाद, तेलंगाना के डिपार्टमेंट ऑफ मेडिसिन रिपोर्ट को जांच करने के बाद, फिटनेस सर्टिफिकेट मिलने के बाद वैक्सीन का पहला डोज दिया जाएगा. इसी तरह सभी स्वस्थ लोगों का जांच करने के बाद फिटनेस सर्टिफिकेट मिलने के बाद ही वैक्सीन का डोज दिया जाएगा. ट्रायल के लिए तीन तरह की वैक्सीन है, तीनों का अलग-अलग कोड है. इसी तरह स्वस्थ्य व्यक्ति को उनकी फिटनेस के अनुसार अलग-अलग कोड की वैक्सीन दी जाएगी. हर व्यक्ति को दो डोज दिए जाएंगे. 

एक डोज देने के 14 दिनों बाद फिर उसी कोड की वैक्सीन दी जाएगी. पहली डोज देने के बाद उन्हें दो दिनों के लिए अस्पताल में ICCU में डॉक्टरों की निगरानी में रखा जाएगा. उसके बाद घर भेज दिया जाएगा और 14 दिनों तक उनके साथ फोन पर या वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए मॉनिटर किया जाएगा.

पहले क्लीनिक ट्रायल के लिए 30 से 60 सब्जेक्ट्स (लोगों) को इनरोल किया जाएगा. कई लोग क्लीनिकल ट्रायल में हिस्सा लेने के लिए आवेदन दे चुके हैं. कई मेल आये हैं, कई फोन कॉल्स आये हैं, इनमें हेल्दी लोगों को चुना जाएगा.

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