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मैं एक शेर बेटा और आज अनाथ हो गया, मेरी बीमारी में मेरे खिलाफ रचा गया षड्यंत्र... पशुपति पारस पर चिराग का जोरदार अटैक

चिराग पासवान ने कहा कि मेरी पार्टी के पूरे समर्थन के साथ मैंने चुनाव लड़ा. कुछ लोग संघर्ष के रास्ते पर चलने के लिए तैयार नहीं थे. मेरे चाचा ने खुद चुनाव प्रचार में कोई भूमिका नहीं निभाई. मेरी पार्टी के कई और सांसद अपने व्यक्तिगत चुनाव में व्यस्त थे. दुख मुझे इस बात का है कि जब मैं बीमार था, उस समय मेरे पीठ पीछे जिस तरह से ये पूरा षड्यंत्र रचा गया.

Abhay Pratap
  • Jun 16 2021 5:46PM

लोक शक्ति पार्टी LJP में अब आर पार की लड़ाई शुरू हो गई है. पशुपति नाथ पारस के राजनैतिक खेल के बाद अब स्व. राम विलास पासवान के पुत्र तथा LJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने अपने चाचा पशुपति पारस पर जोरदार अटैक किया है. LJP में चाचा की बगावत के बाद आज चिराग पासवान पहली बार पत्रकारों के सामने आए. उन्होंने कहा कि पार्टी ने कभी सिद्धांतों से समझौता नहीं किया. प्रेस कॉन्फ्रेंस में चिराग ने चाचा पशुपति कुमार पारस पर जमकर निशाना साधा.

चिराग ने गरजते हुए कहा कि मैं एक शेर का बेटा हूं, जब उस समय विधानसभा चुनाव में अकेले जा सकता हूं तो आज तो साथियों, पदाधिकारियों, बिहार की जनता के आशीर्वाद के साथ हूं. चिराग ने पीसी के दौरान दुखी होते हुए कहा कि शायद उस समय अनाथ नहीं हुआ था जब पापा गए थे, लेकिन चाचा के साथ छोड़ने पर मैं अनाथ हो गया. प्रिंस को लेकर उन्होंने कहा कि वो कभी ऐसा करेगा सोचा भी नहीं था. प्रिंस के ऐसा करने पर मैं व्यक्तिगत तौर पर काफी दुखी हूं. उन्होंने कहा कि जब प्रिंस पर आरोप लगे तो मैंने खुद युवती और प्रिंस से बात की थी. इसके बाद ही मैंने उन्हें पुलिस के पास जाने की सलाह दी थी. प्रिंस मेरे भाई नहीं बेटे जैसा है.

चिराग पासवान ने कहा कि मैं अभी भी पार्टी का अध्यक्ष हूं. पार्टी का संविधान मुझे इसकी इजाजत देता है. जो लोग मुझे हटाने का दावा कर रहे हैं उन्हें पार्टी के संविधान की कोई जानकारी नहीं हैं. चिराग ने कहा कि कुछ जगह खबरें चल रही हैं कि मुझे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से हटाया जा चुका है. लोक जनशक्ति पार्टी का संविधान कहता है कि पार्टी अध्यक्ष का पद सिर्फ दो परिस्थितियों में खाली हो सकता है या तो राष्ट्रीय अध्यक्ष का निधन हो या राष्ट्रीय अध्यक्ष इस्तीफा दें. मैं अभी भी पार्टी का अध्यक्ष हूं. उन्होंने आगे कहा कि पार्टी के संविधान के अनुसार सिर्फ संसदीय दल और खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष ही संसदीय दल के नेता को चुन सकता है, अगर चाचा कहते तो उन्हें संसदीय दल का नेता बना दिया जाता. अगर राष्ट्रीय अध्यक्ष की बात है तो संविधान के अनुसार अभी भी वही अर्थात चिराग पासवान अध्यक्ष हैं.

चिराग पासवान ने कहा कि मेरी पार्टी के पूरे समर्थन के साथ मैंने चुनाव लड़ा. कुछ लोग संघर्ष के रास्ते पर चलने के लिए तैयार नहीं थे. मेरे चाचा ने खुद चुनाव प्रचार में कोई भूमिका नहीं निभाई. मेरी पार्टी के कई और सांसद अपने व्यक्तिगत चुनाव में व्यस्त थे. दुख मुझे इस बात का है कि जब मैं बीमार था, उस समय मेरे पीठ पीछे जिस तरह से ये पूरा षड्यंत्र रचा गया. मैंने चुनाव के बाद अपने चाचा से संपर्क करने का, उनसे बात करने का निरंतर प्रयास किया.

चिराग पासवान ने कहा कि कुछ लोग हमारी पार्टी को उस वक्त भी तोड़ना चाहते थे, जब मेरे पिता अस्पताल में एडमिट थे. चिराग ने कहा कि तब मेरे पिता ने पार्टी के नेताओं से यह बात कही थी. उन लोगों में मेरे चाचा पशुपति नाथ पारस भी शामिल थे. कुछ लोग संघर्ष के लिए तैयार नहीं थे, लेकिन हमें उससे गुजरना होगा. चिराग ने कहा कि पापा ने ये पार्टी बड़ी मेहनत और विश्वास के साथ बनाई थी. इसको मैं किसी भी हाल में ऐसे नहीं देख सकता हूं. उन्होंने कहा कि मैं लंबी लड़ाई लड़ूंगा और जो भी कुछ हो सकता है कानूनी तौर पर वो किया जाएगा. 

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