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डोनाल्ड ट्रम्प के हारते ही अमेरिकी धरती से उठने शुरू हुए चरमपंथी स्वर.. अमेरिका के मुस्लिम संगठन की फ्रांस को धमकी

अब तक नहीं आती थी ऐसी आवाजें.

Rahul Pandey
  • Nov 22 2020 9:51PM

अब तक वैसे इस प्रकार के बयान सुनाई नहीं देते थे और इसके पीछे अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की मजबूत नीतियाँ कहीं न कहीं एक बड़ा कारक बनी हुई थी. लेकिन जैसे ही अमेरिका की धर्मनिरपेक्ष जनता ने वोट दे कर अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बजाय उनके प्रतिद्वंदी जो बिडेन को बहुमत दिया उसके बाद ऐसी बयानबाजी शुरू हो गई है.

विदित हो कि अमेरिका के मुस्लिम समूह ने फ्रांस को सीधी चेतावनी देते हुए कहा है कि वो और उसके राष्ट्राध्यक्ष इस्लाम को अपने हिसाब से परिभाषित करने की कोशिश न करें. अपने देश में लगातार आतंकी हमलों के बाद फ्रांस ने हर प्रकार के कट्टरपंथ के विरुद्ध व्यापक अभियान छेड़ रखा है जिस से दुनिया भर के तमाम इस्लामिक मुल्क और वामपंथी सोच वाले आक्रामक स्वरूप में हैं.

मिल रही जानकारी के अनुसार फ्रांस के ताबड़तोड़ एक्शन के बाद काउंसिल ऑन अमेरिकन-इस्लामिक रिलेशंस (सीएआईआर) ने फ़्रांसीसी राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रॉन द्वारा फ़्रांसीसी मुस्लिम मजहबी जानकारों के लिए इस्लामी सिद्धांत निर्धारित करने और इस्लाम को एक अराजनीतिक धर्म बताने की आलोचना की है.. 

चेतावनी देने के अंदाज़ में अमरीकी मुसलमानों के संगठन ने सरकार के मातहत, इमामों की राष्ट्रीय परिषद के गठन के फ़्रांसीसी राष्ट्रपति के आदेश को पाखंड और ख़तरनाक क़रार दिया है। बुधवार को मैक्रॉन ने फ़्रेंच काउंसिल ऑफ़ द मुस्लिम फ़ेथ (सीएफ़सीएम) के आठ प्रतिनिधियों से मुलाक़ात की थी और उन्हें इस्लाम को पूर्ण रूप से राजनीति से अलग करने तथा धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का एक चार्टर तैयार करने के लिए दो हफ़्तों की मोहलत दी थी।

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