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दिल्ली में जहरीली होती 'हवा' पर आज केंद्र की बैठक में मिल सकती है 'दवा' , सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आदेश

तीन सदस्यीय पीठ ने कहा, ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अधिनियम द्वारा कुछ निर्णय किए गए हैं, लेकिन इसने सटीक तरीके से यह नहीं बताया है कि वे वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार कारकों को नियंत्रित करने के लिए क्या कदम उठाने जा रहे हैं.

Kartikey Hastinapuri
  • Nov 16 2021 9:37AM

लगातार जहरीली होती दिल्ली एनसीआर की हवा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ख़ासा चिंतित है। अभी हाल ही में दिल्ली की आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में पूर्ण लॉकडाउन लगाने पर हामी भर दी है, लेकिन साथ ही ये आग्रह भी किया है कि प्रदूषण से बचाव की इस लड़ाई में न सिर्फ दिल्ली बल्कि एनसीआर में भी लॉकडाउन करने की बात कही है। 

इसी मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट शख्त है और कोर्ट के आदेश के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर केंद्र सरकार आज आपात बैठक कर सकती है.

सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आपात बैठक बुलाने का निर्देश

न्यायालय ने इस बात पर गौर किया कि दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के वायु प्रदूषण में पराली जलाए जाने का योगदान मात्र 10 प्रतिशत है. न्यायालय ने केंद्र को प्रदूषण से निपटने के लिए मंगलवार को एक आपात बैठक बुलाने का निर्देश दिया.न्यायालय ने निर्माण, उद्योग, परिवहन, ऊर्जा एवं वाहनों की आवाजाही को प्रदूषण के बड़े कारण बताया और केंद्र से कहा कि वह अनावश्यक गतिविधियों को रोकने और कर्मियों द्वारा घर से काम करने जैसे कदम उठाए.

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा, ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अधिनियम द्वारा कुछ निर्णय किए गए हैं, लेकिन इसने सटीक तरीके से यह नहीं बताया है कि वे वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार कारकों को नियंत्रित करने के लिए क्या कदम उठाने जा रहे हैं.पीठ ने कहा, इसके मद्देनजर हम भारत सरकार को निर्देश देते हैं कि वह कल एक आपात बैठक बुलाए और हमने जिन क्षेत्रों की बात की है, उन पर चर्चा करे तथा यह देखे कि वह वायु प्रदूषण को प्रभावी तरीके से काबू करने के लिए क्या आदेश पारित कर सकती है.

पराली जलाया जाना प्रदूषण का बड़ा कारण नहीं : सुप्रीम कोर्ट 

पीठ ने कहा, जहां तक पराली जलाए जाने की बात है, तो शपथपत्र व्यापक रूप से कहते हैं कि दो महीनों को छोड़ दिया जाए, तो उसका योगदान बहुत अधिक नहीं है. बहरहाल, इस समय हरियाणा और पंजाब में पराली जलाए जाने की घटनाएं बड़ी मात्रा में हो रही हैं. पीठ ने केंद्र और एनसीआर राज्यों को कर्मियों से घर से काम कराने की समीक्षा करने को कहा.केंद्र की पैरवी कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को उन कई कदमों की जानकारी दी, जिन पर केंद्र सरकार और दिल्ली, पंजाब एवं हरियाणा के सचिवों के साथ हुई आपात बैठक में विचार-विमर्श किया गया था 

मेहता ने कहा, हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि पराली जलाया जाना प्रदूषण का बड़ा कारण नहीं है और वायु प्रदूषण में इसका योगदान मात्र 10 प्रतिशत है.पीठ ने उनके इस प्रतिवेदन पर कहा, क्या आप इस बात से सहमत हैं कि पराली जलाया जाना मुख्य कारण नहीं है? इस हल्ले का कोई वैज्ञानिक या तथ्यात्मक आधार नहीं है

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