बीते बुधवार को भारत की आँखे नम कर गए CDS बिपिन रावत, आज अपने भारत को आखिरी अलविदा करके यादो की उस दुनिया में चले गए जहा से यादो के अलावा और कुछ वापस नहीं आता। CDS रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत अस्थियो के रूप में अपने जीवन के अंतिम सफर पर निकले, और इस दुनिया को अलविदा कह कर माँ गंगा में समाहित हो गए।
दरअसल, आज हरिद्वार में CDS रावत की बेटियों ने नाम आँखों से अपने माँ एवं पिताजी की अस्थियो को माँ गंगा में प्रवाहित किया। इससे पहले उनकी अंत्येष्टि दिल्ली में पूरे राजकीय सम्मान के साथ शुक्रवार को संपन्न हुई, जिसमें केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ ही उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल विशेष तौर से मौजूद रहे. सेना के सम्मान और रीति रिवाजों को पूरा करते हुए जनरल रावत और उनकी पत्नी मधूलिका को अंतिम विदाई दी गई और मुखाग्नि उनकी दोनों बेटियों ने दी. जनरल रावत को श्रद्धांजलि देने का सिलसिला उत्तराखंड में भी जारी रहा.
नगरपालिका का मुख्य द्वार रावत के नाम
हरिद्वार में आज जनरल रावत के अस्थि विसर्जन का कार्यक्रम है और इससे पहले शहर की मेयर अनिता शर्मा ने शुक्रवार को एक आधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा कि नगरपालिका भवन के मुख्य द्वार को जनरल रावत की स्मृति में समर्पित किया जाएगा. शर्मा ने कहा, ‘लोग लगातार चाह रहे हैं कि रावत की याद में किसी स्मारक, सड़क या स्कूल को समर्पित किया जाए. लोगों की भावना को देखते हुए हमने ये फैसला किया.
सुदर्शन ने भी की दिल्ली के अकबर रोड को रावत जी के नाम पर करने की अपील
रावत जी के दुखद निधन के बाद पूरे देश में गम का माहौल है और सभी लोग रावत जी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे है। इसी कड़ी में सुदर्शन न्यूज़ की भी यह अपील है कि दिल्ली की अकबर रोड का नाम बदलकर CDS रावत जी के नाम पर कर दिए जाना चाहिए।
हरीश रावत ने की भारत रत्न की मांग
कांग्रेस नेताओं द्वारा दिवंगत जनरल रावत को श्रद्धांजलि दिए जाने का ज़िक्र करते हुए कांग्रेस चुनाव अभियान के प्रमुख हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर लिखा, जनरल रावत को ‘एक ऐसे सैनिक के रूप में लोग देखने लगे थे, उनसे भरोसा करने लगे थे कि ये व्यक्ति हमारी सुरक्षा का प्रतीक है, ये हमारी सुरक्षा की गारंटी है. पत्रकार पूछ रहे हैं कि किस तरीके का स्मारक बनना चाहिए! हम लोगों के मन में केवल एक भाव आ रहा है कि भारत माता के इस महान सपूत को भारत रत्न से विभूषित किया जाना चाहिए. एक विशेष समारोह कर उनको यह सम्मान प्रदान किया जाना चाहिए.’