यूपी के चर्चित गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में CBI की एन्टी करप्शन विंग ने बड़ी कार्रवाई की है। एंटी करप्शन विंग घोटाले को लेकर कई ठिकानों पर छापेमारी कर रही है, सीबीआई की टीम ने यूपी के अलावा राजस्थान और पश्चिम बंगाल में 40 जगहों पर छापेमारी की है। यूपी में लखनऊ, नोएडा, गाजियाबाद, बुलंदशहर और रायबरेली में छापेमारी की गई है। शुक्रवार को ही इस मामले में 190 लोगों पर केस दर्ज किया गया था।
CBI की टीम कर रही है पड़ताल, होंगे कई खुलासे -
लखनऊ में करीब 1800 करोड़ के इस घोटाले में 190 से अधिक लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। इनमें नेता, व्यापारी तथा आइएएस अधिकारी व इंजीनियर भी हैं। सीबीआइ की एंटी करप्शन टीम ने गोमती रिवरफ्रंट घोटाले में आधा दर्जन आरोपितों के कई ठिकानों पर एक साथ छापा मारा है। टीमें कागजों की पड़ताल में लगी हैं। यह मामला बेहद गंभीर होने के कारण कोई भी कसर नहीं छोड़ी जा रही है।
95% पैसा रिलीज होने के बाद भी नही हुआ काम पूरा -
रिवर फ्रंट घोटाला सपा सरकार के कार्यकाल में हुआ था। गोमती रिवर फ्रंट के लिए सपा सरकार ने 1513 करोड़ मंजूर किए, 1437 करोड़ रुपये जारी होने के बाद भी मात्र 60 फीसदी काम ही हुआ। संस्थाओं ने 95 फीसदी बजट खर्च करके भी पूरा काम नहीं किया।
योगी सरकार ने गठित किया था न्यायिक आयोग -
2017 में योगी सरकार ने रिवर फ्रंट की जांच के आदेश देते हुए न्यायिक आयोग गठित किया, जांच में सामने आया कि डिफॉल्टर कंपनी को ठेका देने के लिए टेंडर की शर्तों में बदलाव किया गया। पूरे प्रोजेक्ट में चीफ इंजीनियर के स्तर से करीब 800 टेंडर निकाले गए थे। योगी सरकार ने 2017 में रिटायर्ड जज आलोक कुमार सिंह की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग से जांच कराई जिनकी रिपोर्ट आने पर रिवर फ्रंट के काम मे कई खामियां उजागर हुईं। आयोग की रिपोर्ट के आधार पर योगी सरकार ने सीबीआई जांच के लिए केंद्र को पत्र भेजा था।