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मकान मालिकों को भी पैसे की जरूरत, नहीं माफ कर सकते किराया: दिल्‍ली हाई कोर्ट

इस याचिका को दाखिल करने वाले वकील गौरव जैन पर कोर्ट का समय खराब करने के लिए कोर्ट ने उन पर 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया.

Abhishek Lohia
  • Jun 19 2020 9:15PM
दिल्‍ली हाई कोर्ट ने किरायेदारों का किराया माफ करने संबंधी एक याचिका खारिज दी गई थी. कोर्ट ने कहा है कि मौजूदा आर्थिक संकट से केवल किरायेदार ही दिक्‍कत में नहीं हैं. मकान मालिक भी इससे परेशान हैं. उनकी आजीविका इस किराये पर निर्भर हो सकती है. इस याचिका में कोर्ट से मांग की गई थी कि वह कोविड-19 को देखते हुए दिल्‍ली के सभी मकान मालिकों को आदेश दे कि वे किराया माफ कर दें और किराया न देने पाने के आधार पर अपने किरायेदारों को घर छोड़ने के लिए न कहें.

चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस प्रतीक जलान की बेंच ने याचिका खारिज करते हुए ये बातें कहीं. यही नहीं, इस याचिका को दाखिल करने वाले वकील गौरव जैन पर कोर्ट का समय खराब करने के लिए कोर्ट ने उन पर 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया.

बेंच ने कहा कि कोर्ट मकान मालिक और किरायेदार के बीच हुए करार में हस्‍तक्षेप करने के पक्ष में नहीं है. वह किराये को माफ नहीं कर सकती है. वजह है कि यह किरायेदार और मकान मालिक के बीच कॉन्‍ट्रैक्‍ट पर आधारित होता है. पीठ ने कहा कि कोर्ट कोविड-19 के खतरे को देखते हुए किरायेदारों को किराया देने से छूट नहीं दे सकती है. कारण है कि किराया मकान मालिक का हक है और किसी और के हक को दान में नहीं दिया जा सकता है. अदालतें दूसरों के हितों की कीमत पर परोपकार नहीं कर सकती हैं.

कोर्ट ने कहा कि याचिका यह मानकर दाखिल की गई है कि अकेले किरायेदार ही आर्थिक मुश्किलों का सामना कर रहे हैं. हालांकि, यह ध्‍यान में रखना चाहिए कि मकान मालिक भी आर्थिक रूप से किराये पर निर्भर हो सकते हैं. हाई कोर्ट ने साफ कहा कि किराये में छूट देने या न देने का पहला अधिकार मकान मालिकों के पास है, जो कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक उसे लेने के अधिकारी हैं. उसने याचिका को आधारहीन मानते हुए इसे खारिज कर दिया.

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