जल्द ही देश में कोयला ब्लॉक्स की कॉमर्शियल माइनिंग (Commercial Mining of Coal) के लिए नीलामी प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी. बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट (Union Cabinet) ने इसकी मंजूरी दे दी है. इसके बाद अब कोयला खादानों पर सरकारी कंपनी कोल इंडिया का वर्चस्व खत्म हो जाएगा.
आर्थिक मामलों के कैबिनेट कमिटी ने कोयला और लिग्नाइट खादान की नीलामी प्रक्रिया को रेवेन्यू बेसिस पर मंजूरी दे दी है. इस प्रक्रिया के तहत बिडर्स के लिए रेवेन्यू में हिस्सेदारी ही पैरामीटर्स होगी यानी बिडर्स को ये बताना होगा कि वो अपने रेवेन्यू का कितना हिस्सा सरकार को देंगे.
केंद्र सरकार ने क्या कहा?
केंद्र सरकार ने बुधवार को एक बयान में कहा, 'बिडर्स को ये बताना होगा कि वो केंद्र सरकार को अपने रेवेन्यू का कितना हिस्सा देंगे. रेवेन्यू शेयर का फ्लोर प्राइस 4 फीसदी होगा. बिडिंग को 10 फीसदी तक 0.5 फीसदी के मल्टीपल में एक्सेप्ट किया जाएगा. इसके बाद यह 0.25 फीसदी के मल्टीपल में होगा.'
देश-विदेश की इन कंपनियों को मिलेगा मौका
कॉमर्शियल कोयला नीलामी के लिए आसान एंट्री और एग्जिट नियम बनाये जाएंगे. इससे हिंडाल्को, जिंदल स्टील एंड पावर, JSW एनर्जी, अडानी ग्रुप और वेदांता जैसी भारतीय कंपनियों के पास मौका है. हालांकि, वैश्विक माइनर्स जैसे Peabody, BHP Billiton और Rio Tinto भी बिडिंग प्रोसे में हिस्सा ले सकेंगे.
कोयला खादानों पर खत्म हो सरकार का वर्चस्व
वित्त मंत्री ने कहा था कि कोयला सेक्टर को कॉमर्शियल माइनिंग के लिए खोला जाएगा और सरकार के वर्चस्व को खत्म किया जाएगा. सरकार इस सेक्टर में प्रतिस्पर्धा और पारदर्शिता को ध्यान में रखते हुए प्राइवेट कंपनियों को मौका देगी कि वो रेवेन्यू शेयरिंग आधार पर इस सेक्टर के लिए काम करें. यह रेवेन्यू शेयरिंग बेसिस पर होग, न कि प्रति टन एक तय दर पर होगा. इसके तहत 50 नए कोयल ब्लॉक को कॉमर्शियल माइनिंग के लिए खोला जाएगा.