सुदर्शन के राष्ट्रवादी पत्रकारिता को सहयोग करे

Donation

राजस्थानी गणित में BTP विधायकों के बदलते सुर, कभी इधर-कभी उधर

दरअसल इससे पहले बीटीपी यानी कि भारतीय ट्राइबल पार्टी ने किसी भी दल को समर्थन नहीं देने की बात कही थी. उन्होंने अपने विधायकों को तटस्थ रहने के निर्देश दिए थे. वहीं इसके बाद महज चार दिन पहले विधानसभा सीट चौरासी से विधायक राजकुमार रोत ने वीडियो जारी कर सरकार पर खुद को कैद में रखे जाने का आरोप लगाया था.

Abhishek Lohia
  • Jul 19 2020 12:00AM

कहते हैं सियासत पल-पल अपने रंग बदलती है. राजस्थान के रण (Rajasthan Political Crisis) में भी कुछ ऐसी तस्वीरें देखने को मिल रही हैं. आज से ठीक 4 दिन पहले बीटीपी के विधायक राजकुमार रोत गहलोत सरकार पर खुद को कैद करने का आरोप लगा रहे थे. वही आज अपनी पार्टी के साथ गहलोत कैंप में नजर आ रहे हैं. दरअसल आखिरकार भारतीय ट्राइबल पार्टी यानी BTP ने भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खेमे को सशर्त समर्थन का ऐलान कर दिया. बीटीपी के नेताओं ने शनिवार को होटल फेयरमोंट में मुख्यमंत्री गहलोत से मुलाकात कर अपनी मांगों का पत्र उन्हें सौंपा.

BTP का यू-टर्न
दरअसल इससे पहले बीटीपी यानी कि भारतीय ट्राइबल पार्टी ने किसी भी दल को समर्थन नहीं देने की बात कही थी. उन्होंने अपने विधायकों को तटस्थ रहने के निर्देश दिए थे. वहीं इसके बाद महज चार दिन पहले विधानसभा सीट चौरासी से विधायक राजकुमार रोत ने वीडियो जारी कर सरकार पर खुद को कैद में रखे जाने का आरोप लगाया था.

10 मिनट की प्रेस वार्ता में तीन पर बदले सुर
राजस्थान के सियासी घटनाक्रम के बीच शनिवार शाम को अचानक बीटीपी के विधायक राजस्थान कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के साथ पहुंचते हैं और प्रेस वार्ता शुरू करते है. मीडिया से बात करके हुए रोत कहते हैं कि हमने शर्तों के साथ गहलोत सरकार को समर्थन दिया है, फिर पुलिस द्वारा उनको परेशान करने वाले सवाल पर तीन बार राजकुमार रोत के बयान बदल जाते हैं.

बयान देते हुए रुके BTP विधायक
पहले राजकुमार रोत बोलते हैं, मुझे आज तक ऐसा कभी नहीं लगा कि मुझे खतरा है, लेकिन पुलिस प्रशासन के ही…..इतना बोलने तक राजकुमार रोत रुक गए और मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार लोकेश कुमार शर्मा ने आकर उनके कान में कुछ बोला.

दूसरी बार बदला बयान
इसके बाद फिर राजकुमार रोत कहने लगे, “कहीं न कहीं खतरा हो सकता है, क्योंकि राजस्थान में इतना उठापटक हो रहा है. लोग यहां से दिल्ली चले गए हैं. कुछ लोग हरियाणा चले गए हैं. किसी को जबरदस्ती ले जाया जा रहा है. किसी को जबरदस्ती बांध कर रखा है.

तीसरी बार कुछ अलग बयान
वहीं फिर आगे की बातचीत में राजकुमार रोत के एक बार फिर बयान बदल गए. इसबार उन्होंने कहा कि मेरे ऊपर कोई खतरा नहीं है. पुलिस किसी न किसी दबाव में काम कर रही थी.

चार दिन पहले बताया था जान को खतरा
इतना ही नहीं चार दिन पहले जो विधायक गहलोत सरकार पर खुद को कैद करने का आरोप लगा रहा था. वायरल वीडियो में ये तक कहा जा रहा था कि इस समय राजस्थान में जो स्थिति पैदा हो चुकी है. अभी ये हाल है कि हमें एक तरह से कैद कर रखा गया है. पुलिस प्रशासन की तीन से चार गाड़ियां हमारे साथ लगीं हैं. आज मैं क्षेत्र के लिए निकला लेकिन वो लोग निकलने नहीं दे रहे हैं. चारों तरफ गाड़ियां लगा दी हैं और मेरी गाड़ी की चाबी भी ले ली गई है.

‘कैसे विधायक के बयान बदलवा रहे हैं गहलोत जी?’
वहीं इस मसले पर राजस्थान भाजपा के प्रवक्ता लष्मीकांत भारद्वाज ने ट्वीट करके अशोक गहलोत पर निशाना साधा हैं. दरअसल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बीजेपी पर आरोप लगाया था कि बीजेपी बकरा मंडी की तरह विधायकों की बोली लगा रही है. इस पर लष्मीकांत ने कहा कि क्या अशोक गहलोत जी की बकरा मंडी यही है? कैसे बयान बदलवा रहे हो विधायकों के? जैसे आपने ख़रीद लिए हों. वहीं उन्होंने कहा कि अशोक गहलोत क्या अब भी कुछ बाक़ी रह गया की होर्सट्रेडिंग कौन कर रहा है.

वैसे तो विधायकों के सुर बदलना राजनीति में कोई नई बात नहीं है, लेकिन जिस तरह से राजस्थान की सियासत अब पल-पल बदल रही है उसके बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि ऊंट किस और करवट लेता है.

क्या है भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP)
भारतीय ट्राइबल पार्टी का गठन 2017 में छोटू भाई वसावा ने गुजरात में किया था. वसावा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जेडीयू से जुड़े थे. बीटीपी का महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान के आदिवासी क्षेत्रों में प्रभाव है. डूंगरपुर की 14 लाख की आबादी में से करीब 73 फीसदी आदिवासी की है. उदयपुर संभाग की 17 सीटों पर 70% से ज़्यादा वोटर आदिवासी समुदाय से आते हैं. राजस्थान में बीटीपी ने 12 उम्मीदवार उतारे थे. डूंगरपुर, आसपुर, सागवाड़ा, चौरासी, पिंडवाड़ा, खेरवाड़ा, घाटोल, गरही, धरियावद, कुंभलगढ़, बागीदौर और कुशलगढ़ विधानसभा सीट से उम्मीदवार खड़े हुए थे.

भारतीय ट्राइबल पार्टी की मांग
भारतीय ट्राइबल पार्टी की मुख्य मांग संविधान की 5वीं अनुसूची के मुताबिक अधिकार दिए जाने की है. साथ ही आदिवासी क्षेत्र में वन अधिकार मान्यता क़ानून और पेसा क़ानून को पूरी तरह लागू करने की मांग मुख्य है. बीटीपी की कहना है कि आज़ादी के बाद राज्यों के गठन के समय भील खंड था जिसका राज्यों के गठन के समय ध्यान नहीं रखा गया. इसीलिए देश में आदिवासियों के लिए भील प्रदेश की मांग भी पार्टी के एजेंडे में शामिल है.

सहयोग करें

हम देशहित के मुद्दों को आप लोगों के सामने मजबूती से रखते हैं। जिसके कारण विरोधी और देश द्रोही ताकत हमें और हमारे संस्थान को आर्थिक हानी पहुँचाने में लगे रहते हैं। देश विरोधी ताकतों से लड़ने के लिए हमारे हाथ को मजबूत करें। ज्यादा से ज्यादा आर्थिक सहयोग करें।
Pay

ताज़ा खबरों की अपडेट अपने मोबाइल पर पाने के लिए डाउनलोड करे सुदर्शन न्यूज़ का मोबाइल एप्प

Comments

ताजा समाचार