सुदर्शन के राष्ट्रवादी पत्रकारिता को सहयोग करे
ये भारत की वो वीरांगना थीं जिनका इतिहास अगर आज की नारियों, बालिकाओं को पढ़ाया जाता तो यकीनन उनमे ताराबाई बनने की प्रेरणा मिलती..