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आगे उन्होंने कहा कि आज़ादी के बाद राष्ट्रनिर्माण के भी लिए गोरक्षपीठ सतत आगे रहा। समाज के अनुकूल युग के अनुकूल खुद को ढालना होगा,आज जो भी है वो हमारे पूज्य संतो के ही आशीर्वाद का परिणाम है।