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जनता कि रूझानों से सुहेलदेव पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर का चुनाव फंसा

नेता चाहे कैसा भी हो, उसकी राजनीतिक हैसियत का अंदाजा उसके हार और जीत से ही लगाया जाता है। यूपी के राजनीति में भाजपा संग मिलकर विधानसभा के दहलीज पर पहली बार कदम रखने वाले ओमप्रकाश राजभर लगातार तीन सालों से भाजपा सरकार पर हमलावर रहे, अपने आपको पिछडो और गरीबो का नुमाइंदा बताते रहे। एक बार फिर जहूराबाद विधानसभा सीट पर ताल ठोक रहे हैं,जहूराबाद में उन्होंने क्या काम किया है, कैसे उन्हें पिछडो गरीबो का नुमाइंदा माना जाए, इसकी कसौटी तो विधानसभा चुनाव का रिजल्ट बताएगा। फिलहाल जहूराबाद की जनता की माने तो इस बार इनकी नैया डांवाडोल है, लोगों का कहना है कि पांच सालों में जनता के बीच नही दिखे, कोई विकास का कार्य नही किये फिर कैसे ये हमारे नुमाइंदा बन गए। अपने मुंह से कोई कुछ भी बन सकता है। रही सही कसर बसपा से टिकट लेकर पूर्व मंत्री सय्यदा सादाब फ़ातिमा ने पूरा कर दिया है। दर असल इस सीट पर सबसे अधिक 75 हजार दलित आबादी है, जो एक मुश्त फ़ातिमा के पलड़े में दिखाई देता है, जबकि अपने मंत्रित्व काल मे फ़ातिमा ने जहूराबाद में विकास की गंगा बहाई थी। जिससे हर वर्ग में उन्हें वोट मिलता दिखाई दे रहा है, जबकि इसके उलट ओमप्रकाश राजभर का बड़बोलापन लोगों को रास नही आ रहा है। भाजपा ने भी प्रत्याशी देने में देर कर दिया है ऐसे में न्यूट्रल व विकास पसन्द भाजपा समर्थक भी ओमप्रकाश को हराने के लिहाज से फ़ातिमा के ओर झुके दिखाई देते हैं। अब तो 10 मार्च को चुनाव नतीजे ही बताएंगे कि किसके सिर पर जीत का शेहरा बंधेगा, परन्तु ओपी राजभर को नाको चबाना पड़ सकता

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