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उनकी मौत ने इस आंदोलन को और मजूबत कर दिया जिन्होंने देश को आजादी दिलाने में अपनी जान की भी परवाह नहीं की. अपने अंतिम भाषण में लाला लाजपत राय ने कहा था मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक चोट ब्रिटिश साम्राज्य के ताबूत की कील बनेगी