हिंदू विवाह है एक संस्कार जबकि मुस्लिमों में होते हैं कॉन्ट्रैक्ट.... कर्नाटक हाईकोर्ट के टिप्पणी की हर तरफ चर्चा
न्यायमूर्ति दीक्षित ने विस्तार से कहा कि मुस्लिम निकाह कोई संस्कार नहीं है और यह इसके समाप्त होने के बाद पैदा हुए कुछ दायित्वों एवं अधिकारों से भाग नहीं सकता। पीठ ने कहा, ''तलाक के जरिए विवाह बंधन टूट जाने के बाद भी दरअसल पक्षकारों के सभी दायित्वों एवं कर्तव्य पूरी तरह समाप्त नहीं होते हैं।''