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चीनी एप्स बंद होने के 18 महीने बाद स्वदेशी एप्स की मांग बढ़ने लगी है। स्वदेशी मोबाइल ऐप के क्षेत्र में बदलाव आने लगे हैं। वहीं दूसरी तरफ भारतीय बाजारों में चीनी एप्स की हिस्सेदारी में भी कमी देखने को मिल रही है।