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आखिर वह कौन सी सोच है जिसके लिए इंसान की जन्मदात्री महिला भोग विलास की वस्तु से अधिक कुछ नहीं होती? वो कौन सी सोच है जो जिसके अंदर न तो महिलाओं की इज्जत है और न ही कानून का भय?