सुदर्शन के राष्ट्रवादी पत्रकारिता को सहयोग करे
उन्होंने न अपनी आयु देखी और न ही अपना भविष्य. उनके लिए सब कुछ राष्ट्र था और वो सब कुछ राष्ट्र पर ही न्योछावर कर के चले गये.