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ये वही वीर हैं जिन्होंने अपने प्राणों का बलिदान तब किया था जब तथाकथित चरखे का कहीं कोई वजूद ही नहीं था . ये समय था वर्ष 1857 का जब जंग में सामने ढाल तलवार और उस तरफ तोपें और बंदूकें थी .