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सुप्रीम कोर्ट से 18 जून के आदेश में बदलाव की मांग कर रहे सभी पक्षों का कहना था कि सदियों पुरानी परंपरा को भंग नहीं किया जाना चाहिए. इससे करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी है.